शिमला: केएनएच अस्पताल शिमला में नवजात बच्ची को जिंदा ही साढ़े घंटे तक मार्चरी में रखने के मामले में केएनएच प्रशासन ने जांच बैठा दी है. शुक्रवार को मामले में अधिकारियों ने संबंधित स्टाफ से रिपोर्ट तलब की. दो दिन में रिपोर्ट तैयार करके उच्च अधिकारियों को सौंप दी जाएगी.
जिंदा बच्ची को साढ़े दस घंटे तक मुर्दाघर में रखने का मामला, अस्पताल में बिठाई जांच - शिमला की खबरें
केएनएच में नवजात को साढ़े दस घंटे तक जिंदा बच्ची को मार्चरी में रखने के मामले में केएनएच प्रशासन ने जांच बैठा दी है. मामले में अधिकारियों ने संबंधित स्टॉफ से रिपोर्ट तलब की.
बता दें कि गुरुवार रात कुल्लू से गर्भवती महिला ने एक नवजात बच्ची को जन्म दिया, लेकिन ड्यूटी पर तैनात स्टॉफ ने बच्ची को मोर्चरी में डाल दिया. स्टाफ का कहना था कि बच्ची के पल्स रेट काफी ज्यादा है और यह ज्यादा देर जीवित नहीं रहेगी. यहां तक की नवजात को लपेटने के लिए कपड़ा तक नहीं दिया गया, कपड़े में लपेटे बिना ही बच्ची को मोर्चरी में रख दिया. दोपहर डेढ़ बजे परिजनों को बुलाकर नवजात का शव ले जाकर दफनाने को कहा गया.
नवजात की नानी ने मोर्चरी में जाकर बच्ची को उठाया. परिजनों ने दावा किया कि जब बह मोर्चरी में बच्ची को लेने पहुंचे तो वो रो रही थी. करीब साढ़े दस घंटे तक नवजात उसी मोर्चरी में जिंदा पड़ी रही. परिजनों ने प्रशासन को इसकी शिकायत दी है. परिजनों ने शिक्षा मंत्री से मुलाकार करके मामले में कार्रवाई की मांग की है. केएनएच एमएस डॉ. अंबिका चौहान ने कहा कि मामले की रिपोर्ट बिठा दी गई है और जांच की जा रही है.