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क्रिसमस स्पेशल: शिमला में है उत्तरी भारत का दूसरा सबसे पुराना चर्च, 1846 में रखी गई थी नींव - शिमला हिंदी न्यूज

शिमला के रिज मैदान पर स्थित ऐतिहासिक क्राइस्ट चर्च को राजधानी का ताज कहा जाता है. वर्ष 1857 में नियो गोथिक कला में बना यह चर्च एंग्लीकेन ब्रिटिशन कम्युनिटी के लिए बनाया गया था. जिसे उस समय सिमला कहते थे. यह चर्च काफी किलोमीटर दूर से एक ताज की तरह दिखाई देता है. क्राइस्ट चर्च को कर्नल जेटी बोयलियो ने 1844 में डिजाइन किया था. 1846 में इसकी नींव रखी गई थी और 1856 में यह बनकर तैयार हुआ.

History of Historic Christ Church on Ridge Maidan shimla
डिजाइन फोटो.

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Published : Dec 24, 2020, 7:49 PM IST

शिमला: हिल्स क्वीन शिमला के रिज मैदान पर स्थित ऐतिहासिक क्राइस्ट चर्च को राजधानी का ताज कहा जाता है. यह उत्तरी भारत में दूसरा सबसे पुराना चर्च है. जिसकी खूबसूरती आज भी लोगों को लुभाती है. अंग्रेजी शासनकाल में बना यह चर्च आज भी शिमला की शान बना हुआ है.

वर्ष 1857 में नियो गोथिक कला में बना यह चर्च एंग्लीकेन ब्रिटिशन कम्युनिटी के लिए बनाया गया था. जिसे उस समय सिमला कहते थे. यह चर्च काफी किलोमीटर दूर से एक ताज की तरह दिखाई देता है. क्राइस्ट चर्च को कर्नल जेटी बोयलियो ने 1844 में डिजाइन किया था.

वीडियो रिपोर्ट.

इसका निर्माण करीब 13 साल बाद 1857 में शुरू किया गया. यह लोकप्रिय और प्रसिद्ध स्थान शिमला घूमने आए पर्टयकों के लिए एक मुख्य आकर्षण का केंद्र है. हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में स्थित यह भारत के ब्रिटिश शासन के लंबे समय तक चलने वाली विरासतों में से एक है साथ ही शिमला का सबसे लोकप्रिय और प्रसिद्ध पर्टयक स्थान भी है.

इस धार्मिक स्थान का निर्माण वास्तुकला की नव-गोथिक शैली में किया गया है. यदि आप हिमाचल प्रदेश की यात्रा का प्लान बना रहे हैं तो एक बार इस स्थान की यात्रा अवश्य करें. शिमला घूमने आने वाले पर्टयकों को इस धार्मिक चर्च में अपना कुछ समय व्यतीत करना चाहिए. यहां आप की आत्मा को बेहद शांति और सुकून मिलेगा.

सबसे ज्यादा देखे जाने वाले स्थानों में से एक माना जाता यह चर्च

इस चर्च परिसर के अंदर कांच की खिड़कियां लगी हुई हैं. जो दान, भाग्य, विश्वास, आशा, धैर्य और मानवता का प्रतिनिधित्व करती हैं. हर साल बहुत से पर्टयक यहां घूमने और समय व्यतीत करने के लिए आते हैं. क्राइस्ट चर्च ब्रिटिश राज की स्थायी विरासतों में से एक मानी जाती है.

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला का यह क्राइस्ट चर्च शिमला शहर के आसपास के कई क्षेत्रों से दिखाई देता है. रिज पर स्थित यह क्राइस्ट चर्च ब्रिटिश राज की स्थायी विरासतों में से एक मानी जाती है. इस खूबसूरत क्राइस्ट चर्च को कर्नल जेटी. बोइल्यू ने 1844 में डिजाइन किया था. 10 जनवरी 1857 को मद्रास के बिशप थॉमस डेल्ट्रे, बिशप द्वारा चर्च को संरक्षित किया गया था.

नार्थ इंडिया के सबसे पुराने चर्चों में से एक है

चर्च के पादरी सोहन लाल ने कहा कि यह चर्च एक ऐतिहासिक चर्च है. यह नार्थ इंडिया के सबसे पुराने चर्चों में से एक है. उन्होंने बताया कि 1846 में इसकी नींव रखी गई थी और 1856 में यह बनकर तैयार हुआ. उन्होंने बताया कि शिमला पहले पूरे भारत का समर कैपिटल था.

वायसरॉय, गवर्नर और कई ब्रिटिश उच्च अधिकारी यहां रहते थे. 1947 तक कोई भी भारतीय इस चर्च में अराधना करने के लिए नहीं आ सकता था. भारतीय क्रिश्चियन यहां पर अराधना करने नहीं आ सकते थे. भारतीयों के लिये सेन्ट थोमस चर्च था जो अब एक स्कूल है, लेकिन 1947 के बाद सारे हिंदुस्तानी यहां आने शुरू हो गए.

उन्होंने बताया कि चर्च की बेल भी काफी समय से खराब पड़ी थी. जो हमने पिछले साल ठीक करवा दी. उन्होंने बताया कि यहां पर ऑर्गन भी है जिसे प्रार्थना के समय बजाया जाता है. इसे 1849 में इंग्लैंड से लाया गया था. उन्होंने बताया कि इस चर्च की मुरम्मत चर्च के मेंबर डोनेशन करके और जो यहां विस्टर दान करते हैं उससे कराया जाता है.

प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर स्थान

हिमाचल प्रदेश में ऐसे बहुत से लोकप्रिय और प्रसिद्ध पर्टयक स्थान हैं, जो अपने इतिहास के लिए देश विदेश में जाने जाते हैं. इस लोकप्रिय चर्च में आप घूमने और समय व्यतीत करने के लिए कभी भी आ सकते हो.

यदि आप बर्फ प्रेमी हो और यदि आप को बर्फ पसंद है तो आप शिमला की यात्रा सर्दियों के समय में कर सकते हो. इस दौरान यहां बर्फबारी होती है और यह स्थान और भी ज्यादा खूबसूरत और आकर्षित हो जाता है और आप यहां बर्फ के साथ खेल भी सकते हो.

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