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नेशनल कंज्यूमर फोरम के आदेश को हाईकोर्ट के समक्ष नहीं दी जा सकती चुनौती, हिमुडा की याचिका खारिज - National Consumer Redressal Forum

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि नेशनल कंज्यूमर फोरम के आदेशों को उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती नहीं दी जा सकती.स संदर्भ में हिमुडा यानी हिमाचल प्रदेश अर्बन डवलपमेंट अथॉरिटी की रिट याचिका को खारिज कर दिया.(Himuda petition rejected)

National Consumer Forum
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Published : Dec 7, 2022, 9:03 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि नेशनल कंज्यूमर फोरम के आदेशों को उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती नहीं दी जा सकती. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने इस संदर्भ में हिमुडा यानी हिमाचल प्रदेश अर्बन डवलपमेंट अथॉरिटी की रिट याचिका को खारिज कर दिया. याचिका को खारिज करते हुए खंडपीठ ने कहा कि जब उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत अपील का विशेष प्रावधान है तो उपभोक्ता आयोग के आदेशों को रिट याचिका के माध्यम से चुनौती नहीं दी जा सकती.(Himuda petition rejected)

हिमुडा ने याचिका दायर कर कहा था कि नेशनल कंज्यूमर रिड्रेसल फोरम ने उसके जवाब दायर करने में हुई देरी को माफ करने के आवेदन को गैरकानूनी तरीके से खारिज कर दिया. दरअसल, नेशनल कंज्यूमर फोरम के समक्ष डॉक्टर महेंद्र सिंह ने हिमुडा के खिलाफ शिकायत दर्ज की है. इस शिकायत का जवाब प्रतिवादी हिमुडा को 45 दिनों के भीतर देना था. ऐसा न करने पर उन्होंने जवाब के साथ एक आवेदन दिया था, जिसमें जवाब दायर करने में हुई देरी को माफ करने की प्रार्थना की गई थी.(National Consumer Forum)

हाईकोर्ट ने मामले का रिकॉर्ड और उपभोक्ता कानूनों को देखते हुए कहा कि उपभोक्ता आयोग के पास भी जवाब दायर करने में हुई देरी को माफ करने की शक्तियां नहीं है. हाईकोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय उपभोक्ता निवारण आयोग के आदेशों के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर की जा सकती है. उन्हें हाईकोर्ट में रिट याचिका के माध्यम से चुनौती नहीं दी जा सकती.(National Consumer Redressal Forum)

शामलात भूमि को खनन के लिए आवंटित करने पर सरकार से मांगा जवाब:वहीं, एक अन्य मामले में हाईकोर्ट ने शामलात भूमि को खनन कार्य के लिए आबंटित करने के मामले में सरकार से एक सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने मामले की प्रारंभिक सुनवाई के बाद सरकार से पूछा है कि जब हाईकोर्ट ने अपने फैसलों में यह स्पष्ट किया है कि ग्रामवासियों के संयुक्त इस्तेमाल के लिए रखी गई शामलात भूमि को उत्खनन के लिए आवंटित नहीं किया जा सकता तो कांगड़ा में शामलात भूमि को माइनिंग के लिए कैसे आवंटित किया गया है?

हाईकोर्ट ने अब मामले पर सुनवाई 13 दिसंबर को निर्धारित की है. अदालत में विक्रम कुमार और अन्य याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि सरकार ने कानून की परवाह किए बगैर मोहाल हार डोगरी पंचायत में उत्खनन कार्य के लिए शामलात भूमि प्रतिवादी को दे दी. इस आबंटन से उनके अधिकारों का हनन हो रहा और क्षेत्र में प्रदूषण की समस्या भी पैदा हो सकती है. प्रार्थियों ने निजी प्रतिवादी और सरकार के बीच हुए करार को रद्द करने की गुहार भी लगाई है. अब सुनवाई 13 दिसंबर को तय की गई है. (Himuda's petition dismissed in Himachal High Court)

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