शिमला:हिमाचल सरकार की तरफ से विधानसभा के बजट सत्र में वाटर सेस लागू करने के लिए बकायदा विधेयक लाकर उसे पारित किया गया था. हिमाचल की सुखविंदर सिंह सरकार वाटर सेस के जरिए सालाना एक अच्छी रकम के तौर पर राजस्व जुटाना चाहती है, लेकिन केंद्र सरकार ने राज्यों को पत्र जारी कर वाटर सेस लागू करने से रोकने की बात कही. केंद्र सरकार के पत्र में ये भी स्पष्ट किया गया था कि यदि कोई राज्य वाटर सेस लागू करने का प्रयास करे तो हाइड्रो पावर कंपनियां अदालत का रुख कर सकती हैं. इस तरह सुखविंदर सिंह सरकार का आर्थिक सहारा तलाशने का प्रयास खटाई में पड़ता नजर आने लगा, लेकिन अब सरकार के लिए एक सुख की खबर आई है. ये खबर हाइड्रो पावर कंपनियों की तरफ से आई है. क्या है ये पूरा मामला इससे पहले हिमाचल में वाटर सेस लागू करने की पृष्ठभूमि जानना जरूरी है.
वाटर सेस की राह में रोड़े- दरअसल, कर्ज में डूबे हिमाचल की आर्थिक सेहत सुधारने के लिए सुखविंदर सिंह सरकार ने देवभूमि की नदियों के पानी से पैसा कमाने की जुगत भिड़ाई थी. हिमाचल सरकार ने वाटर सेस लागू कर सालाना 4000 करोड़ रुपए का राजस्व जुटाने के लिए प्रयास किया. इसके लिए बाकायदा विधानसभा के बजट सत्र में विधेयक लाकर उसे पारित किया गया था. इसी बीच, हिमाचल के पड़ोसी राज्यों पंजाब व हरियाणा ने अपनी-अपनी विधानसभाओं में हिमाचल के वाटर सेस के खिलाफ संकल्प प्रस्ताव पारित कर दिया. इस तरह हिमाचल और पंजाब-हरियाणा के बीच तल्खी बढऩे के आसार पैदा हो गए हालांकि हिमाचल के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पंजाब व हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्रियों के साथ वाटर सेस को लेकर राज्य का पक्ष भी रखा.
केंद्र की चिट्ठी ने बढ़ाई मुश्किल-इसके बाद एक डवलपमेंट ये हुई कि केंद्र सरकार की तरफ से वाटर सेस लागू करने से जुड़ा एक पत्र जारी किया गया. केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की तरफ से जारी पत्र बताता है कि बिजली उत्पादन पर वाटर सेस लीगल नहीं है. केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के पत्र के अनुसार वाटर सेस नदियों के पानी से उत्पादित बिजली पर लग रहा है, इससे ग्रिड में बिजली की कीमत बढ़ रही है. केंद्रीय ऊर्जा मंत्री के निर्देश और उनकी सहमति से मंत्रालय के बड़े अधिकारियों ने पत्र तैयार किया था. ये पत्र सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को भेजा था.
केंद्रीय उर्जा मंत्रालय के निदेशक स्तर के अफसर आरपी प्रधान की तरफ से जारी पत्र में लिखा गया था कि कुछ राज्य भले ही ये तर्क दे रहे हैं कि वे अपने यहां की भूमि पर बह रही नदियों के पानी पर टैक्स लगा रहे हैं, परंतु यह सेस यानी उपकर एक तरह से पैदा की जा रही बिजली पर ही लग रहा है. इस तरह ये उपकर देश के संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ है. पत्र के अनुसार कोई भी राज्य ऐसा कदम नहीं उठा सकता, जिसका प्रभाव देश के अन्य राज्यों पर हो. इस तरह केंद्र के पत्र से हिमाचल की वाटर सेस लगाने की मंशा पर सवालिया निशान लगने लगा था. यहां बता दें कि हिमाचल सरकार ने अपने यहां 10 मार्च 2023 से वाटर सेस लागू करने की डेट तय की हुई है. हिमाचल में 172 पनबिजली परियोजनाओं पर वाटर सेस लागू करना है. इसके लिए बाकायदा कमीशन का गठन किया गया है.