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Himachal statehood day 2023: एप्पल स्टेट हिमाचल के 53 साल पूरे, 'रॉयल' से रॉयल बनने तक का कुछ ऐसा रहा सफर

आज हिमाचल अपने पूर्ण राज्यत्व के 53 बरस पूरे कर रहा है. हिमाचल आज विकास की जिन ऊंचाइयों पर है उसे हासिल करने में बहुत संघर्ष लगा है. हिमाचल की एक आज एक अलग पहचान है. और वो पहचान मिली है सेब से. हिमाचल को सेब राज्य के नाम से जाना जाता है. हिमाचल की आर्थिकी का आधार सेब है. हिमाचली लोगों ने सेब से विकास की इबारत लिखी है. लेकिन इसका सबसे पहला श्रेय जिसे जाता है वो है सत्यानंद स्टोक्स. कौन हैं ये और हिमाचल में सेब की सौगात लाने का श्रेय इन्हें क्यों जाता है इस बारे में आपको बताएंगे...(Himachal statehood day 2023) (Apple Production in Himachal) (Role of Satyananda Stokes in apple production)

Apple Production in Himachal
Apple Production in Himachal

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Published : Jan 25, 2023, 4:01 AM IST

शिमला: सेब की बात हो और हिमाचल का जिक्र ना हो ऐसा होना नामुमकिन है. हिमाचल प्रदेश बेशक पूर्ण राज्यत्व के 53वें बरस में प्रवेश कर रहा है, लेकिन यहां पर लाल-लाल रसीले सेबों के उत्पादन का सफर 100 साल से भी पुराना हो गया है. आज हिमाचल के एक बड़े हिस्से में सेब के बगीचे लहलहाते हैं और यही वजह है कि जम्मू-कश्मीर के बाद हिमाचल देश में सबसे ज्यादा सेब उत्पादन करता है. लेकिन क्या आपको पता है कि हिमाचल में पहली बार सेब की खेती किसने शुरू की ? या यूं कहें कि हिमाचल जो कि आज सेब राज्य के नाम से पहचाना जाता है उसे ये पहचान दिलाने में सबसे ज्यादा रोल किसका है? आपको बता दें कि हिमाचल में सेब को लाने का श्रेय एक अमेरिकन नागरिक सैंमुअल्स इवान स्टोक्स को जाता है. क्या है पूरी कहानी आपको बताते हैं...

हिमाचल को सेब राज्य के नाम से जाना जाता है

अमरीकी शख्स ने हिमाचल को बनाया था एप्पल स्टेट:पहाड़ी राज्य हिमाचल में सेब की सौगात लाने का श्रेय अमेरिकी मूल के सैमुअल इवान स्टोक्स को जाता है. हिमाचल आकर सैमुअल स्टोक्स सत्यानंद स्टोक्स बन गए और यहां की जमीन पर सेब के रूप में समृद्धि रोप दी. हालांकि हिमाचल प्रदेश में सेब का सबसे पहला व्यवसायिक बगीचा एक अंग्रेज सिपाही कैप्टन आरसी ली ने कुल्लू के बंदरोल में 1870 में लगाया था. लगभग 1887 के आसपास शिमला जिले में भी एलेक्जेंडर कूटस ने मशोबरा में सेब का बगीचा लगाया, जो कि अब क्षेत्रीय बागवान अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र के नाम से जाना जाता है. शुरूआती दौर में इंग्लैंड और यूरोप से आयात की गई सेब की प्रजातियां ज्यादातर हरे और पीले फल देने वाली थी और उनमें कुछ खास भी थी. भारतवासियों को यह ज्यादा पसंद आती क्योंकि उनको अनेक मीठे फल खाने की आदत थी. लेकिन व्यवसायिक से उत्पादन को एक नई दिशा तब मिली जब सत्यानंद स्टोक्स जो कि एक अमेरिकी नागरिक थे, उन्होंने अमेरिका से 1916 में रेड डिलिशियस प्रजाति के पौधे मंगवाए और कोटगढ़ इलाके के बारूबाग गांव में लगाकर उनका प्रचार किया. इस प्रजाति का फल लाल रंग का था और हरे फल के मुकाबले अधिक मीठा था. यहां से हिमाचल की सेब पैदावार में क्रांति सी आ गई. कोटगढ़ से यह प्रजाति जल्द ही प्रदेश के दूसरे इलाकों में फैली और इसकी अन्य उन्नत किस्में प्रदेश में बड़े पैमाने पर लगाई गई. स्टोक्स ने एक लोकप्रिय प्रजाति गोल्डन डिलिशियस भी अमेरिका से आयात की थी जो अब हर सेब उत्पादन क्षेत्र में फैल चुकी है.

सत्यानंद स्टोक्स ने हिमाचल को बनाया एप्पल स्टेट

आज हिमाचल की पहचान सेब से है: सेब उत्पादन का सिरमौर बनने में हिमाचल को एक सदी से भी अधिक समय लग गया. आज सेब हिमाचल की मुख्य फसल मानी जाती है. देश में पैदा होने वाले सेब का 35 प्रतिशत हिस्सा हिमाचल ही पैदा करता है. हिमाचल में सेब की पैदावार 3500 से लेकर 9000 फीट तक की ऊंचाई पर होती है. शिमला, कुल्लू, सिरमौर, किन्नौर और चंबा में सेब की सबसे ज्यादा पैदावार होती है. सेब की बदौलत कई बागवान दिन दोगुनी रात चौगुनी तरक्की कर चुके हैं. हिमाचल में प्रतिवर्ष 4000 करोड़ रुपयों के सेब का कारोबार होता है. 4 लाख बागवान परिवार ऐसे हैं जिनका रोजगार सेब पर ही निर्भर करता है. यहां तक कि सेब उत्पादन के कारण एशिया का सबसे अमीर गांव भी हिमाचल के शिमला जिला में स्थित मड़ावग गांव है. वर्ष 2018-19 में हिमाचल में 113151 हेक्टेयर क्षेत्र सेब उत्पादन के तहत दर्ज किया गया था. अब यह बढ़कर 1.15 लाख हेक्टेयर हो गया है.

हिमाचल में सेब उत्पादन

प्रदेश में चार लाख बागवान परिवार: हिमाचल प्रदेश में सेब उत्पादन अपने सफर के सौ साल पूरे कर चुका है. हिमाचल में शिमला जिले में प्रदेश का अस्सी फीसदी सेब पैदा होता है. शिमला के अलावा मंडी, कुल्लू, चंबा, किन्नौर, लाहौल-स्पीति, सिरमौर में सेब उगाया जाता है. प्रदेश में चार लाख बागवान परिवार हैं. सेब उत्पादन में शिमला जिले ने सबसे अधिक नाम कमाया है. यहां गौर करने वाली बात ये भी है कि सेब उत्पादन से हुई कमाई टैक्स के दायरे में नहीं आती है. अस्सी के दशक में जब सेब बागवानी अपने चरम की तरफ जा रही थी तो कई वीवीआईपी ने इसमें हाथ आजमाया. ये बात अलग है कि कई राजनेताओं के पास पुश्तैनी जमीन और बागीचे हैं.

प्रदेश में चार लाख बागवान परिवार कर रहे सेब की खेती

सेब उत्पादन क्षेत्र में निरंतर बढ़ रहा हिमाचल: क्षेत्रीय बागवान अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्रों ने भी कई उन्नत प्रजातियां विकसित की. हिमाचल ने अमेरिका इटली से भी पौधे आयात किए. देश की एप्पल स्टेट हिमाचल प्रदेश में सेब उत्पादन क्षेत्र निरंतर बढ़ रहा है. वर्ष 2018-19 में हिमाचल में 113151 हेक्टेयर क्षेत्र सेब उत्पादन के तहत दर्ज किया गया था. अब यह बढ़कर 1.15 लाख हेक्टेयर हो गया है. हिमाचल प्रदेश में तीन साल का रिकॉर्ड देखा जाए तो वर्ष 2018-19 में 3.68 लाख मीट्रिक टन सेब हुआ था. उस दौरान प्रदेश में 113151 हेक्टेयर क्षेत्र सेब उत्पादन के तहत था. वर्ष 2019-20 में हिमाचल में 114144 हेक्टेयर क्षेत्र में 7.15 लाख मीट्रिक टन सेब पैदा हुआ था. वर्ष 2020-21 में 114646 हेक्टेयर क्षेत्र में 4.81 लाख मीट्रिक टन सेब हुआ था. अब यह आंकड़ा 1.15 लाख हेक्टेयर हो गया है.

हिमाचल की पहचान सेब से है

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