शिमला: आर्थिक संकट से जूझ रहे हिमाचल प्रदेश पर मानसून सीजन में भारी बारिश आफत बनकर टूटी है. हजारों करोड़ रुपए के नुकसान के साथ ही हिमाचल के विकास की गाड़ी पटरी से उतर गई है. खजाना खाली है और सरकार को पैसे की जरूरत है. हिमाचल सरकार के लिए इस समय बीबीएमबी परियोजनाओं में अपने हक के ₹4250 करोड़ रुपए संजीवनी साबित होंगे. करीब ढाई दशक से पड़ोसी राज्य हिमाचल के हक पर कुंडली मारकर बैठे हैं, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद हरियाणा व पंजाब हिमाचल का हक नहीं दे रहे हैं. अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में फिर से सुनवाई होनी है.
सुप्रीम कोर्ट पर हिमाचल सरकार की नजर: आज 6 सितंबर व शुक्रवार 8 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई संभावित है. ऐसे में हिमाचल सरकार की नजर सुप्रीम कोर्ट पर टिकी है. हिमाचल सरकार के उर्जा सचिव राजीव शर्मा के अनुसार हिमाचल प्रदेश की बीबीएमबी परियोजनाओं के तहत भाखड़ा पावर प्रोजेक्ट में एक जनवरी 1966 से अक्टूबर 2011 तक की हिस्सेदारी की रकम बकाया है. इसके अलावा ब्यास-सतलुज लिंक प्रोजेक्ट (बीएसएल) में 1977 से अक्टूबर 2011 की समय अवधि की हिस्सेदारी बकाया है. इसी तरह पौंग डैम में वर्ष 1978 से अक्टूबर 2011 तक की हिस्सेदारी के एवज में पंजाब व हरियाणा को बकाया हिस्सेदारी का भुगतान करना है. ये तीन परियोजनाएं हैं और इनसे हिमाचल को बकाया के एवज में 13,066 मिलियन यूनिट बिजली मिलनी है.
1998 में हिमाचल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया: हिमाचल सरकार ने अपने हक के लिए वर्ष 1998 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. उसके बाद से 25 साल बीत गए, लेकिन हिमाचल को हक नहीं मिला है. सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2011 में सितंबर महीने की दो तारीख को अपने आदेश में हरियाणा और पंजाब को संबंधित एक्ट यानी पंजाब पुनर्गठन एक्ट 1966 के तहत हिस्सेदारी देने के लिए कहा था. फिर दोनों पड़ोसी राज्यों ने अक्टूबर 2011 से हिस्सेदारी देना शुरू किया, लेकिन पहले के बकाया पर ये दोनों राज्य चुप्पी साधे रहते हैं, भाखड़ा-ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड यानी बीबीएमबी के तीन मुख्य प्रोजेक्ट हैं. इनमें भाखड़ा प्रोजेक्ट 1325 मेगावाट, पौंग बांध प्रोजेक्ट 396 मेगावाट व ब्यास सतलुज लिंक यानी बीएसएल प्रोजेक्ट सुंदरनगर 990 मेगावाट का है.
तीन परियोजनाओं में हिमाचल कर रहा हिस्सेदारी की मांग: वर्ष 1966 के पंजाब पुनर्गठन कानून के तहत प्रदेश सरकार भाखड़ा बांध प्रोजेक्ट में 2724 करोड़ रुपए, बीएसएल डैहर सुंदरनगर प्रोजेक्ट में 1034.54 करोड़ और पौंग प्रोजेक्ट में 491.89 करोड़ की हिस्सेदारी की मांग कर रही है. पंजाब सरकार ने पहले ये प्रस्ताव किया कि बीबीएमबी परियोजनाओं से हिमाचल पंजाब को मिलने वाली बिजली से कुछ बिजली बेचे और दस साल में अपना बकाया पूरा कर ले. हिमाचल इस पर राजी होने की बात सोच ही रहा था कि बाद में पंजाब ने ये मियाद दस की बजाय बीस साल करने को कहा. अभी भी ये मसला सुलझा नहीं है. इसी तरह चंडीगढ़ की कुछ जमीन पर भी हिमाचल का दावा है. कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने इस मामले को फिर से छेड़ा है. पंजाब पुनर्गठन एक्ट के तहत चंडीगढ़ पर हिमाचल का सात फीसदी से अधिक का दावा है. इसमें जमीन से लेकर पानी के एवज में मिलने वाला लाभ शामिल है. अभी हिमाचल को सिर्फ पीजीआई में प्रशासनिक अधिकारी तैनात करने का हक है. हिमाचल से एक आईएएस व एक एचपीएएस अधिकारी चंडीगढ़ पीजीआई में प्रशासनिक हक के रूप में नियुक्त होता है.