शिमला: हिमाचल प्रदेश में इस साल मानसून सीजन में अभूतपूर्व नुकसान हुआ है. आंकड़ों के अनुसार बरसात में 204 लोग सड़क हादसों के कारण जान गंवा बैठे. वैसे तो भूस्खलन व अन्य कारणों से मानसून सीजन में राज्य में मौत का आंकड़ा 509 रहा, लेकिन अकेले रोड एक्सीडेंट में 204 लोगों का जीवन काल का ग्रास बन गया. शिमला व चंबा जिला में इस दौरान 30-30 लोगों की जान गई तो, सोलन जिला में 29 लोगों की मौत हुई. हिमाचल की पीड़ा ये है कि सभी संभव प्रयास करने के बाद भी सड़क हादसों का दौर नहीं थमता. राज्य में हर साल औसतन 1200 से अधिक लोग रोड एक्सीडेंट में जान गंवाते हैं. वहीं, घायलों की संख्या भी भयावह रूप से परेशान करती है.
सड़क हादसों के पीछे मुख्य वजह:हिमाचल प्रदेश में हर साल औसतन 3000 से अधिक लोग विभिन्न सड़क हादसों में घायल होते हैं. प्रदेश में यदि पिछले दो दशक की बात की जाए तो 20 हजार से अधिक लोगों की जान सड़क हादसों में गई है. हादसों का कारण तंग सड़कें, ब्लैक स्पॉट, ड्राइवरों की लापरवाही सहित अन्य वजह हैं. इसके अलावा तेज रफ्तार और नशे की हालत में ड्राइविंग भी एक मुख्य कारण हैं. पुलिस विभाग समय-समय पर हादसों का वैज्ञानिक विश्लेषण करती है. हाल ही में पुलिस ने 13,740 सड़क हादसों का वैज्ञानिक विश्लेषण किया था.
ओवर स्पीड से 49 फीसदी सड़क हादसे: पुलिस द्वारा किए हादसों का वैज्ञानिक विश्लेषण के अनुसार राज्य में अकेले 6673 सड़क दुर्घटनाएं ओवर स्पीड की वजह से हुई. यह कुल हादसों का 49 फीसदी है. रैश ड्राइविंग के कारण 2,638 एक्सीडेंट हुए और ये कुल हादसों का 19 प्रतिशत है. बिना सिग्नल दिए वाहन मोड़ने के कारण 1,505 यानी 11 प्रतिशत और खतरनाक तरीके से ओवरटेक करने से 866 एक्सीडेंट हुए. इसके अलावा कुल 13,740 दुर्घटनाओं में नशे की हालत में 554 हादसे हुए. तीखे मोड़ यानी ब्लाइंड कर्व के कारण 204 और पैरापिट न होने के कारण 185 सड़क दुर्घटनाएं हुईं.