शिमला: हिमाचल प्रदेश में लाखों पर्यटक हर साल घूमने के लिए पहुंचते हैं. खासकर आस-पास के राज्यों के लोगों की घूमने के लिए पहली पसंद शिमला होती है. शिमला आकर लोग मौसम का आनंद तो लेते ही हैं साथ ही में घुड़सवारी का आनंद लेना भी पर्यटक नहीं भूलते. बता दें कि शिमला को अंग्रेजों ने अपनी ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया था. शिमला पहाड़ी इलाका भी है ऐसे में रिज तक पहुंचना हो या फिर जाखू मंदिर तक आपको चढ़ाई तो चढ़नी पड़ेगी. ऐसे में थकावट होना भी लाजिमी है. इस थकावट से बचने के लिए अंग्रेज ज्यादातर घोड़ों का इस्तेमाल करते थे. यही चलन आज भी है. अब पर्यटक आते हैं तो घोड़ों पर बैठकर रिज पर घूमना हो या फिर कुफरी में ट्रैक को चढ़ना हो लोग घोड़ों पर बैठना शान समझते हैं.
शिमला और कुफरी आने वाले पर्यटक घोड़े की सवारी जरूर करते हैं. लेकिन इन दिनों कुफरी आ रहे पर्यटक घुड़सवारी करने में ज्यादा रुचि नहीं दिखा रहे. जिसका सीधा असर यहां घुड़सवारी कराने वाले लोगों की जेब पर पड़ रहा है. घुड़सवारी से कई लोगों के घर चलते हैं. इस बार ये मार मौसम की वजह से पड़ी है. दरअसल इस बार शिमला और आस-पास के इलाकों में बर्फबारी कम हुई है जिसके कारण पर्यटक शिमला-कुफरी में ठहरने से ज्यादा ऊपरी इलाकों का रुख कर रहे हैं. बर्फ का दीदार करने वाले पर्यटकों के हाथ यहां मायूसी लग रही है और वो कुल्लू-मनाली जैसे इलाकों में जाना पसंद कर रहे हैं. जिसकी सबसे ज्यादा मार कुफरी के घोड़े वालों पर पड़ी है.
घोड़ा संचालक निराश: स्थानीय घोड़ा संचालकों का कहना है कि इस सीजन में बर्फबारी बहुत कम हुई है ऐसे में टूरिस्ट कुफरी से लौट रहे हैं. क्योंकि सभी पर्यटक बर्फबारी में मजे करने के लिए यहां पहुंचते हैं. लेकिन इस बार बर्फबारी नहीं हुई जिससे पर्यटक भी निराश हैं जिसका सारा असर उनके कारोबार पर पड़ रहा है. घोड़ा संचालकों का कहना है कि पिछले साल के मुकाबले इस सर्दी में कारोबार बिल्कुल ना के बराबर है. हल्की फुल्की बारिश के कारण कुफरी में बर्फ की जगह कीचड़ ने ले ली है जो पर्यटकों को पसंद नहीं आ रहा है.