धर्मशाला : विपक्ष की कड़ी आपत्तियों और विरोध के बीच हिमाचल प्रदेश सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (स्थापना और संचालन की सुविधा) विधेयक पारित हो गया. अब कोई भी उद्योग स्थापित करने से पहले उद्योगपति को विभिन्न विभागों से आठ कानूनों के तहत अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) नहीं लेने होंगे.
इसे उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ने पेश किया था और इससे पहले सरकार ने अध्यादेश जारी किया था. सरकार का दावा है कि इससे हजारों लघु उद्यमियों को राहत मिलेगी. उद्योगपति केवल घोषणा-पत्र देकर ही अपना उद्योग स्थापित कर सकेंगे. घोषणा-पत्र प्राप्त होते ही सम्बन्धित नोडल अधिकारी जैसे महाप्रबंधक, जिला उद्योग केन्द्र/उप निदेशक उद्योग, एकल खिड़की निकासी संस्था, बद्दी/सदस्य सचिव, क्षेत्र के एकल खिड़की निकासी संस्था द्वारा पावती प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा. प्रमाण पत्र प्राप्त होने के पश्चात उद्योगपति अगले तीन वर्ष के लिए बिना किसी स्वीकृति के अपना उद्योग शुरू कर सकते हैं.
विधेयक में आठ विभिन्न अधिनियमों को कवर किया गया है. इसमें हिमाचल प्रदेश पंचायती राज एक्ट, 1994, हिमाचल प्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1994, हिमाचल प्रदेश म्यूनिसिपल एक्ट, 1994, हिमाचल प्रदेश फायर फाईटिंग सर्विसेज एक्ट, 1984, हिमाचल प्रदेश रोड साईड लैंड कंट्रोल एक्ट, 1968, हिमाचल प्रदेश शॉप्स एंड कमर्शियल एस्टेबलिशमेंट एक्ट, 1969, हिमाचल प्रदेश सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट, 2006 तथा हिमाचल प्रदेश टाउन एंड कंट्री प्लानिंग एक्ट, 1977 शामिल हैं.
अध्यादेश के जरिये भू मालिकों भी बड़ी राहत दी गई. अब प्रदेश में उद्योग लगाने के लिए जमीन खरीदने के निवेशकों और भू मालिकों को किसी बिचौलिये की जरूरत नहीं रहेगी. उद्योग विभाग के तैयार किए जा रहे लैंड बैंक में इच्छुक भू मालिकों की जमीन को भी शामिल किया जा रहा है. निवेशकों की सुविधा के लिए लैंड बैंक की पूरी जानकारी राइजिंग हिमाचल एप में अपलोड की जा रही है. इसमें भू मालिक के नाम, कितनी जमीन, लीज या बेचना चाहता, जैसी पूरी जानकारी उपलब्ध करवाई जा रही है. ऐसे में प्रदेश या दूसरे राज्यों सहित विदेशों के निवेशक ऑनलाइन स्थान का चयन कर वहां जमीन खरीद या लीज पर ले सकेंगे. इससे निवेशक और भू मलिकों को बिचौलियों को दी जाने वाली लाखों रुपये की कमीशन नहीं देनी पड़ेगी.