शिमला:कोरोना महामारी के इस दौर में देश-दुनिया को समझ आ गया है कि ऑक्सीजन कितनी जरूरी है. देवभूमि हिमाचल प्रदेश में ऑक्सीजन का नेचुरल प्लांट कहे जाने वाले हरे-भरे पेड़ों की खूब कद्र की जाती है. यही नहीं, राज्य के ग्रीन कवर को लगातार बढ़ाने के लिए यहां नवीन योजनाएं भी लागू की जाती हैं. इन्हीं योजनाओं में शुमार है-एक बूटा बेटी के नाम.
हिमाचल प्रदेश में वनों की विविधता भी देश के अन्य राज्यों के लिए प्रेरक है. यहां के जंगलों में औषधीय पौधों सहित अन्य जीवनोपयोगी पौधे रोपे जाते हैं. यदि बात ग्रीन कवर की जाए तो हिमाचल प्रदेश इसमें भी देश के अन्य राज्यों से आगे ही है. हिमाचल प्रदेश के कुल क्षेत्रफल का 66 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र अलग-अलग किस्म के पेड़ों से ढंका है. देश के राज्यों की वनों से संबंधित रिपोर्ट बताती है कि हिमाचल प्रदेश का ग्रीन कवर लगातार बढ़ रहा है.
स्टेट फॉरेस्ट रिपोर्ट 2019 के अनुसार राज्य के फॉरेस्ट कवर एरिया में 333.52 वर्ग किलोमीटर की बढ़ोतरी हुई है. ये बात सही है कि देश के दक्षिणी राज्यों के मुकाबले मौजूदा बढ़ोतरी अपेक्षाकृत कम है, परंतु हिमाचल का अधिकांश क्षेत्र वनों से ढंका है. छोटा राज्य होने के कारण 66 फीसदी ग्रीन कवर एरिया होना कम उपलब्धि नहीं है. वहीं, इससे जुड़ी एक और बात की जाए तो हिमाचल प्रदेश एशिया का पहला राज्य है, जिसे कार्बन क्रेडिट मिला है. पूर्व की वीरभद्र सिंह सरकार के समय वर्ल्ड बैंक से एशिया का पहला कार्बन क्रेडिट राज्य होने का गौरव मिलने पर हिमाचल को 1.93 करोड़ रुपए की इनामी राशि मिल चुकी है.
बूटा, बेटी के नाम
हिमाचल प्रदेश में सितंबर 2019 में एक बूटा बेटी के नाम योजना शुरू की गई थी. योजना का मकसद बेटियों को सम्मान देने के साथ ही प्रदेश की हरियाली को बढ़ाना है.योजना शुरू होने के बाद जिस परिवार में बेटी का जन्म हुआ है, वहां वन विभाग पांच पौधे देता है. ये पौधे बेटी के नाम रोपे जाते हैं. परिवार को पौधों के आलावा एक किट भी दी जाती है, जिसमें 5 ट्री गार्ड, 20 किलोग्राम खाद व बच्ची की नेमप्लेट होती है.
फॉरेस्ट सर्वे रिपोर्ट में दर्ज उपलब्धियां
फॉरेस्ट सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी 2015 से फरवरी 2019 के दौरान हिमाचल प्रदेश में 959.63 हैक्टेयर वन भूमि को गैर वानिकी कामों के लिए परिवर्तित किया गया.अभी 2019 के बाद की रिपोर्ट आनी है, लेकिन मौजूदा रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल का ग्रीन कवर 333 वर्ग किलोमीटर बढ़ा है. रिपोर्ट बताती है कि हिमाचल में वर्ष 2017 के मुकाबले वनाच्छादित क्षेत्र में 333.52 वर्ग किलोमीटर का इजाफा हुआ. ग्रीन कवर बढ़ने का कारण हिमाचल का सघन पौधारोपण अभियान भी है.
हिमाचल में 2017-18 में कैंपा सहित 9725 हैक्टेयर भूभाग में पौधरोपण किया गया. वर्ष 2019 में वन विभाग ने जनता, सामाजिक संस्थाओं, शैक्षणिक संस्थाओं आदि के सहयोग से 25 लाख 34 हजार से अधिक पौधों को रोपा. रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में फॉरेस्ट एरिया 37,033 वर्ग किमी है. इसमें से 1898 वर्ग किमी रिजर्व फॉरेस्ट है. इसके अलावा 33,130 वर्ग किमी संरक्षित व 2005 वर्ग किमी अवर्गीकृत वन क्षेत्र है. हिमाचल में संरक्षित वन क्षेत्र में 5 नेशनल पार्क, 28 वन्य प्राणी अभ्यारण्य तथा 3 प्रोटेक्टिड क्षेत्र हैं.अर्थात इन क्षेत्रों में वन्य प्राणियों व प्राकृतिक वनस्पतियों को संरक्षित रखा गया है.