शिमला:राष्ट्रपति सम्मान को कोरियर से भेजने के मामले में प्रदेश हाईकोर्ट ने कड़ा संज्ञान लिया है. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता विकास शर्मा को शौर्य पदक के अलावा अन्य पदक विजेताओं की तरह सुविधाएं व लाभ भी मिलने चाहिए. न्यायालय ने इसके संदर्भ में याचिकाकर्ता को मिलने वाले लाभ व सुविधाओं को तुरन्त लागू करने के लिए संबंधित प्रतिवादियों को निर्देश भी दिए.
न्यायाधीश सुरेश्वर ठाकुर ने विकास शर्मा की याचिका का निपटारा करते हुए पाया कि महाप्रबंधक, भारत सरकार टकसाल कोलकाता के अलीपुर में कार्यरत प्रतिवादी के साथ काम करने वाले संबंधित अधिकारी व कर्मचारी इस चूक के लिए जिम्मेदार है. न्यायालय ने केंद्र सरकार को संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों पर कारण बताओ नोटिस जारी कर कार्यवाही करने का आदेश जारी किया.
न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता को पदक उसे कोरियर से मिलने के बाद रोहड़ू में आयोजित हिमाचल दिवस समारोह में तत्कालीन मुख्यमंत्री के कर कमलों द्वारा दिया गया जबकि बहादुरी और साहस के कार्यों को बढ़ावा देने के लिए पुरस्कार संबंधित सेलिब्रिटी द्वारा ही दिए जाते हैं. इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि नागरिकों में बहादुरी की भावना कभी कम न हो. इस मामले में सेलिब्रिटी द्वारा वीरता पुरस्कार प्रदान करने में देरी के लिए न्यायालय ने खेद जताया. न्यायालय ने आदेश दिया कि याचिकाकर्ता का नाम उपयुक्त सूची में शामिल किया जाए और पदक प्रदान करने के लिए तुरन्त कदम उठाया जाए. राष्ट्रीय पदक केवल गणतंत्र दिवस या स्वतंत्रता दिवस समारोह में दिया जाए. यह सुनिश्चित करेगा कि वीरता के कार्य जीवंत रहते हैं.