शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में दाखिल एक याचिका में मांग की गई थी कि नौकरी के लिए आयोजित होने वाले इंटरव्यू की वीडियोग्राफी की जाए. पीपल फॉर रिस्पांसिबल गवर्नेंस ने इस मांग को लेकर हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी. हाई कोर्ट ने संस्था की मांग को ठुकराते हुए याचिका खारिज कर दी. इस मामले में सरकार ने अदालत में तर्क प्रस्तुत किया था कि लोकसेवा आयोग एक संवैधानिक संस्था है और वो अपनी जिम्मेदारी को किसी अन्य से अधिक जानती है. वहीं, लोकसेवा आयोग ने भी अदालत में अपने पक्ष में कहा कि उसने लिस्ट ऑफ बिजनेस खुद बनाए हैं और नियमों के तहत ही भर्तियां हो रही हैं. पीपल फॉर रिस्पांसिबल गवर्नेंस नामक संस्था की याचिका में ये तर्क दिया गया था कि विभिन्न भर्ती एजेंसियों, विभागों आदि में भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए इंटरव्यू की वीडियोग्राफी होनी चाहिए.
मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव व न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने याचिका खारिज कर दी. इसी मामले में अदालत के समक्ष हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी समरहिल शिमला, चौधरी सरवण कुमार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी पालमपुर, डॉ. वाई.एस. परमार यूनिवर्सिटी ऑफ हॉर्टिकल्चर एंड फॉरेस्ट्री नौणी ने तर्क दिया कि उनके यहां विभिन्न पदों के लिए चयन प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी है.