शिमला:हिमाचल प्रदेश में प्लास्टिक कचरे को लेकर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा किया है. प्लास्टिक कचरे की बढ़ती समस्या को देखते हुए हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई थी. याचिका की सुनवाई पर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि प्रदेश में साल भर में कितना प्लास्टिक आता है और उसमें से कितने को ठिकाने लगाया जाता है यानी निस्तारण किया जाता है. हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने राज्य सरकार से ये भी पूछा है कि राज्य में साल भर में आने वाले प्लास्टिक में से कितनी मात्रा को री-साइकिल किया जाता है.
जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट को बताया गया कि प्रदेश भर में कूड़े कचरे का निस्तारण पर्यावरण मानकों के तहत नहीं हो रहा है. प्लास्टिक कचरे के निस्तारण के लिए सरकार ने कोई कारगर कदम नहीं उठाए हैं. पूरे प्रदेश में प्लास्टिक की बोतलें और खाद्य पदार्थों के रैपर इत्यादि धड़ल्ले से सार्वजनिक स्थानों पर फैंके जाते हैं. इसके अलावा ठोस कचरा प्रबंधन और इसके कार्यान्वयन पर अदालत को जानकारी दी गई कि 59 शहरी समूह के साथ हिमाचल प्रदेश भारत का सबसे अच्छा शहरीकृत राज्य है, लेकिन यहां कचरे की थोड़ी सी मात्रा भी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकती है.