हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / state

भीख मांगने वाले बच्चों के पुनर्वास के लिए क्या कर रही सरकार, हाई कोर्ट ने तीन हफ्ते में मांगा जवाब - हिमाचल में भीख मांगने वाले बच्चों का पुनर्वास

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने सुक्खू सरकार से प्रदेश भर के शहरों व कस्बों में भीख मांगने वाले बच्चों के पुनर्वास को लेकर जवाब मांगा है. पढे़ं पूरी खबर... (Himachal Pradesh High Court).

Himachal Pradesh High Court
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट (फाइल फोटो).

By

Published : May 3, 2023, 10:00 PM IST

शिमला: राजधानी शिमला सहित प्रदेश भर के शहरों व कस्बों में भीख मांगने वाले बच्चों के पुनर्वास को लेकर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है. हाई कोर्ट ने सरकार से तीन सप्ताह में जानकारी पेश करने के लिए कहा है. अदालत ने भीख मांगने के लिए मजबूर बेसहारा बच्चों के पुनर्वास को लेकर सारी जानकारी मांगी है. हिमाचल हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने भिखारियों और बेसहारा बच्चों के रहन-सहन के लिए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जारी निर्देशों की अनुपालना न करने से जुड़े मामले में ये आदेश जारी किए हैं.

मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि इस संदर्भ में केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार को नोटिस जारी किए हुए चार महीने हो गए, लेकिन अभी तक इस मामले में जवाब दाखिल नहीं किया गया है. भीख मांगने वाले बच्चों के पुनर्वास के गंभीर मामले को देखते हुए अदालत ने दोनों सरकारों से इन बच्चों से जुड़े दस बिंदुओं पर जानकारी मांगी है. अदालत की तरफ से मांगी गई जानकारी में राज्य व केंद्र शासित प्रदेश में खोले गए आश्रमों की संख्या, चिल्ड्रन इन स्ट्रीट सिचुएशन के लिए बनाए डे-केयर सेंटर्स में उपयुक्त सुविधाओं की संख्या, पहचान के बाद स्कूलों में भर्ती करवाए गए स्ट्रीट सिचुएशन में जी रहे बच्चों की संख्या का ब्यौरा शामिल है.

हाई कोर्ट ने स्ट्रीट सिचुएशन में जीने को मजबूर बच्चों और उनके परिवार वालों को प्रदान किए गए परामर्श की संख्या, ऐसे बच्चों की संख्या जिनकी चिकित्सा जांच की गई है, भीख मांगने अथवा बाल मजदूरी के लिए मजबूर बच्चों का ब्यौरा, संस्थागत देखभाल में रखे गए बच्चों की संख्या, माता पिता अथवा अभिभावकों को सौंपे जा चुके बच्चों की संख्या को लेकर जानकारी मांगी है. अदालत ने ऐसे बच्चों की संख्या भी बताने को कहा है जो पहचान हो जाने के बाद हिमाचल से चले गए हैं अथवा जिन्हें उनके मूल राज्यों में भेजा जा चुका है. अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा स्ट्रीट सिचुएशन में जी रहे बच्चों के कल्याण के लिए घोषित योजनाओं से जुड़े बच्चों की संख्या भी बताने को कहा है.

उल्लेखनीय है कि इस मामले में कॉलेज की छात्रा अश्मिता सिंह ठाकुर ने एक जनहित याचिका दाखिल की थी. याचिका में कहा गया था कि शिमला शहर में जगह-जगह भिखारी देखे जा सकते हैं. इन भिखारियों के साथ नंगे पांव व बिना कपड़ों के छोटे-छोटे बच्चे होते हैं. बच्चे भी भीख मांग रहे होते हैं. उनके रहन सहन के लिए राज्य सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाए गए हैं, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह के लोगों के रहन-सहन का इंतजाम करने के लिए निर्देश जारी किए हुए हैं.

प्रार्थी कॉलेज छात्रा ने सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जारी निर्देशों की अनुपालना के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग के निदेशक को प्रतिवेदन भेजा था. मगर उनकी ओर से इस बारे में कोई विशेष कदम नहीं उठाया गया. प्रार्थी के अनुसार 12 से 18 महीने के बच्चों को फुटपाथ पर बिना घर के रोलर स्केटिंग रिंक लक्कड़ बाजार में देखा जा सकता है. अब हाई कोर्ट ने तीन सप्ताह में राज्य सरकार से सभी बिंदुओं पर जानकारी मांगी है.

Read Also-लोअर बाजार शिमला में अतिक्रमण हटाने के मामले में हाई कोर्ट सख्त, व्यापार मंडल और तहबाजारी संघ को बनाया प्रतिवादी

ABOUT THE AUTHOR

...view details