शिमला: हिमाचल प्रदेश सरकार ने पुलिस अधीक्षक अरविंद दिग्विजय नेगी की सेवाएं बहाल कर दी हैं. एनआईए ने गिरफ्तारी के बाद उन्हें निलंबित कर दिया था. मुख्य सचिव की अध्यक्षता में संबंधित कमेटी की बैठक में इस पर फैसला हुआ है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की जांच में फंसे आईपीएस अधिकारी अरविंद दिग्विजय सिंह नेगी ने पुलिस मुख्यालय में अटैच थे. इसी साल जून महीने में चर्चित आईपीएस अरविंद दिग्विजय नेगी को NIA कोर्ट से जमानत मिली थी. कोर्ट से उन्हें मामले में एक लाख के मुचलके के साथ जमानत मिली थी. (Arvind Digvijay Negi services restored )
क्या है आरोप: हिमाचल कैडर के आईपीएस अरविंद नेगी को इसी साल 18 फरवरी (IPS Arvind Digvijay Negi Get Bail) को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने गिरफ्तार किया था. उन पर प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के गोपनीय दस्तावेज सौंपने का आरोप है. एनआईए के मुताबिक शिमला के ASP रह चुके नेगी ने NIA में पोस्टिंग के दौरान लश्कर-ए-तैयबा के एक ओवर ग्राउंड वर्कर को गोपनीय दस्तावेज सौंपे थे. ये ओवर ग्राउंड वर्कर देश भर में आतंकी गतिविधियों के लिए लश्कर की सहायता करते हैं. एनआईए ने (IPS Arvind Digvijay Negi Get Bail) पिछले साल 6 नवंबर 2021 को अरविंद नेगी के खिलाफ एक मामला दर्ज किया था. जांच में पता चला कि एनआईए के कुछ गोपनीय दस्तावेज लीक करने में अरविंद नेगी की भूमिका अहम थी.
कौन हैं आईपीएस अधिकारी अरविंद दिग्विजय नेगी: मूल रूप से किन्नौर के रहने वाले अरविंद दिग्विजय सिंह नेगी हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2006 में सामने आए सीपीएमटी पेपर लीक केस की जांच के लिए गठित विशेष जांच टीम में वह बतौर डीएसपी प्रमुख जांचकर्ता थे. अभिभावकों ने भी उन्हें जांच अधिकारी के तौर पर नियुक्त करने की मांग उठाई थी. उस वक्त इस मामले में एक सिटिंग मंत्री के भाई समेत 119 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र बना था.