शिमला:हिमाचल प्रदेश विधानसभा का मॉनसून सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है. सत्र के सुचारू रूप से चलाने को लेकर विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने रविवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई, जिसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष से सुचारू रुप से चलाने की अपील की गई. वहीं, सत्र शुरु होने से पहले सोमवार को सुबह कांग्रेस विधायक दल की बैठक होगी जिसमें सदन में विपक्ष की ओर से सत्ता पक्ष के सवालों को जवाब देने को लेकर रणनीति तैयार की जाएगी. प्रदेश की 14वीं विधानसभा का मॉनसून सत्र सोमवार से आरंभ हो रहा है. यह सत्र 25 सितंबर तक चलेगा जिसमें कुल 7 बैठकें होंगी. सोमवार को मॉनसून सत्र दोपहर बाद 2:00 बजे शुरू होगा जो कि शाम सात बजे तक तक चलेगा. इस दौरान सत्र में कुल 7 बैठकें आयोजित की जाएंगी. 23 सितम्बर, 2023 को शनिवार के दिन भी सत्र आयोजित किया जाएगा. जबकि 21 सितंबर का दिन गैर-सरकारी सदस्य कार्य दिवस निर्धारित किया गया है.
जानकारी के अनुसार, सोमवार को पूर्व विधायक स्वर्गीय खूब राम के प्रति शोकोदगार होगा, इसके बाद प्रश्नकाल आरंभ होगा. सोमवार को कमेटियों की रिपोर्ट सदन में पेश की जाएंगी. प्रश्नकाल के बाद प्रदेश में हुए नुकसान को लेकर चर्चा होगी, इसका प्रस्ताव नियम 102 के तहत मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की ओर लाया जा रहा है. विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा है कि इस मुद्दे पर सोमवार के बाद मंगलवार को भी इस पर चर्चा होगी और अगर जरूरत पड़ेगी तो बुधवार को भी इस पर चर्चा की की जाएगी. विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि यह अहम मुद्दा है, जिसमें विस्तृत चर्चा की जाएगी. इसकी शुरुआत मुख्यमंत्री की ओर से की जाएगी. इसका जवाब भी आएगा, जिसमें नीति निर्धारण की बात होगी. विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि यह मुद्दा गंभीर है और प्रदेश से संबंधित लोगों से मुद्दा है. उनका प्रयास रहेगा कि विधानसभा सदस्य ज्यादा से ज्यादा इस पर अपनी बात रखें.
कुलदीप सिंह पठानिया ने सभी सदस्यों से की रचनात्मक सहयोग की अपील:कुलदीप सिंह पठानिया ने विधानसभा सत्र सुचारू रूप से चलाने को लेकर रविवार को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई. इस दौरान कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि वह अपने दायित्व के बारे में पूरी तरह वाकिफ है और उनका सभी सदस्यों से अनुरोध रहेगा कि वे सत्र के संचालन में अपना भरपूर सहयोग दें और सदन के समय का सदुपयोग जनहित से जुड़े मुददों को उठाने के लिए करें. उन्होंने कहा कि लोक सभा तथा विधान सभा लोकतंत्र के मंदिर हैं और हिमाचल विधान सभा की अपनी एक उच्च परंपरा और गरिमा है.