शिमला: हिमाचल प्रदेश के डीजीपी संजय कुंडू और कारोबारी निशांत शर्मा से जुड़े बहुचर्चित मामले में हाई कोर्ट ने जांच से जुड़ी प्रक्रिया में फैसला रिजर्व कर लिया है. गुरुवार को हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई. कांगड़ा पुलिस व शिमला पुलिस ने अदालत में अब तक की जांच रिपोर्ट भी पेश की. वहीं, याचिकाकर्ता पक्ष ने पुलिस की अब तक की जांच पर असंतोष जाहिर किया.
हाई कोर्ट ने जांच रिपोर्ट का अवलोकन किया और प्रतिवादी पक्ष से कुछ बिंदुओं पर सफाई मांगी. मामले में नियुक्त एमिक्स क्यूरी ने जांच को लेकर असंतोष जताया. वहीं, अदालत में मौजूद दोनों जांच अधिकारियों ने अपने पक्ष को रखते हुए अदालत को आश्वस्त किया कि जांच प्रभावी तरीके से की जा रही है. बिना किसी के दबाव में आये जांच की जा रही है.
मामले की जांच हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचन्द्र राव व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ कर रही है. मामले के अनुसार पालमपुर के कारोबारी निशांत कुमार शर्मा ने 28 अक्टूबर को ईमेल के माध्यम से हाईकोर्ट से गुहार लगाई थी कि उसे न्याय दिया जाए. ई-मेल में कारोबारी ने अपने और परिवार की जान को खतरे की बात लिखी है.
प्रार्थी ने लिखा है कि वह इस बात से चिंतित और भयभीत है कि उन्हें या तो राज्य के डीजीपी द्वारा मार दिया जाएगा या बुरी तरह से डराया धमकाया जाएगा. कारोबारी ने लिखा है कि गुरुग्राम में भी उस पर हमला हो चुका है. उस हमले में वह वह बच गया था. इस वारदात की रिपोर्ट को वापस लेने के लिए उस पर दो बाइक सवार लोगों ने भागसूनाग और मैक्लोडगंज के बीच वाले रास्ते में रोक कर धमकाया. ई-मेल के मुताबिक डीजीपी कार्यालय से उसे एक ही दिन में 14 फोन आए. उसे डीएसपी व एसएचओ पालमपुर ने भी फोन किए.
एसएचओ पालमपुर ने व्हाट्सएप मैसेज कर बताया कि डीजीपी उससे बात करना चाहते हैं. इसलिए उसे उनके कार्यालय में वापस कॉल कर लेनी चाहिए. कॉल बैक करने पर डीजीपी ने कहा कि निशांत तुम शिमला आओ और मुझसे मिलो. इस पर जब उसने कहा कि वह क्यों उनसे मिले तो डीजीपी ने कहा कि उसे शिमला आना होगा और उनसे मिलना होगा. ईमेल के माध्यम से निशांत ने हिमाचल के ही दो रसूखदार लोगों पर उससे जबरन वसूली का दबाव बनाने की बात कही है. मुख्य न्यायाधीश ने ईमेल पर संज्ञान लेते हुए प्रशासनिक आदेशों से इसे आपराधिक रिट याचिका पंजीकृत करने के आदेश दिए थे.
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