शिमला: हिमाचल के चार सांसदों के निर्वाचन क्षेत्र में अब तक एमपी लैड यानी संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना फंड का एक भी रुपया खर्च नहीं हो पाया है. हालांकि जिला अथॉरिटी के पास पैसा गया है, लेकिन अभी तक खर्च नहीं हुआ है.
राज्य के चार सांसदों को पहली किस्त के तौर पर दस करोड़ रुपए मिले हैं. ब्याज सहित यह रकम 10.19 करोड़ रुपये है. दिलचस्प बात है कि यह सारी रकम अनस्पैंट है यानी खर्च नहीं हुई है. इस तरह अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास के लिए सांसदों को मिलने वाले एमपी लैड यानी लोकल एरिया डवलपमेंट स्कीम फंड का जनता को लाभ नहीं मिल रहा है.
नई लोकसभा का गठन हुए नौ महीने का समय होने जा रहा है, लेकिन सांसद निधि खर्च करने में किसी का ध्यान नहीं दिखाई दे रहा. यह सही है कि सांसद निधि जारी होने और जिला अथॉरिटी से उस पैसे को संबंधित विकास कार्य के लिए पहुंचाना एक लंबी प्रक्रिया है, लेकिन आठ महीने से भी अधिक समय से एक भी पैसा खर्च न होना सवालिया निशान तो छोड़ता ही है.
सांसद निधि के पैसे का ब्यौरा केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के पास रहता है. फरवरी के पहले हफ्ते के आंकड़ों के अनुसार केंद्र सरकार ने हिमाचल के सभी चारों सांसदों को अढ़ाई करोड़ प्रति सांसद के हिसाब से 10 करोड़ रुपये जारी किए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक सांसद निधि का यह पैसा अभी जिला अथॉरिटी के पास अनस्पैंट है. हर सांसद को प्रति साल पांच करोड़ रुपये सांसद निधि जारी होती है. ऐसे में एक कार्यकाल में एक सांसद को 25 करोड़ रुपये अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास के लिए मिलते हैं.
यह बजट जिला प्रशासन के माध्यम से खर्च किया जाता है. सांसद निधि की दूसरी किश्त उसी समय जारी होती है, जब पहली किश्त में मिले बजट से हुए कार्यों का यूसी यानी यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट और ऑडिट सर्टिफिकेट (एसी) केंद्र को भेजा जाएगा. मौजूदा वित्त वर्ष यानी 2019-20 में हिमाचल के चार सांसदों को कुल मिलाकर 20 करोड़ रुपये की निधि मिलनी है.