शिमला:विधानसभा का मानसून सत्र के पहले ही दिन विपक्ष ने सदन से वॉकआउट किया. दरअसल, विधानसभा के सत्र की शुरुआत शोकोद्गार के साथ हुई, जिसमें पूर्व विधायक खूबराम के निधन पर शोक जताया. इसके अलावा प्रदेश में आपदा के कारण आसामियक निधन पर भी सदन ने शोक जताया. विपक्ष ने विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया को नियम 67 के तहत स्थगन प्रस्ताव दिया. विपक्ष ने इस पर चर्चा करने की मांग की. इससे पहले सरकार की ओर से पहले नियम 102 के तहत प्रदेश में आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का प्रस्ताव दिया गया था. विपक्ष नियम 67 के तहत प्रश्नकाल को स्थगित कर आपदा पर चर्चा करने की मांग करता रहा.
काम रोको प्रस्ताव की नहीं दी जा रही अनुमति:दरअसल, नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर जयराम ठाकुर ने कहा कि एक ओर सरकार कह रही है कि यह सदी की सबसे बडी त्रास्दी है. दूसरी ओर विपक्ष स्थगन प्रस्ताव के माध्यम से काम रोको चर्चा करना चाह रहा है, लेकिन काम रोको प्रस्ताव की अनुमति नहीं दी जा रही. उन्होंने कहा इस पर तुरंत शुरू की जानी चाहिए. यह बहुत बड़ी आवश्यकता है. जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार की ओर से जो प्रस्ताव लाया गया है, उसकी मंशा कुछ ओर है. उन्होंने कहा प्रदेश में पहले एक भी व्यक्ति घर के बिना नहीं था, लेकिन आपदा के चलते आज हजारों बेघर हो गए. 441 लोगों की मौत हुई है, इनती बड़ी जिंदगियां चली गई. इसके बावजूद नियमों की परिधि में बांधने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि सरकार ने जिस तरह से प्रस्ताव लाया है उसमें भाव हो सकता है, लेकिन मंशा कुछ और है.
10 साल पीछे चला गया हिमाचल:जयराम ठाकुर ने कहा कि यह महत्वपूर्ण विषय है, हर व्यक्ति यह उम्मीद कर रहा है कि चर्चा आपदा पर होनी चाहिए. यह भाव पूरे प्रदेश की जनता का है. उन्होंने कहा कि सदन के अंदर चर्चा होगी तो उससे रास्ते निकलेंगे. आज के समय में इसकी जरूरत है. यह बहुत बड़ा विषय है. इस पर सारा काम छोड़कर तुरंत चर्चा होनी चाहिए. जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में सड़कें बंद हैं, पानी की परियोजनाएं दो से तीन माह से बंद हैं, बिजली कई जगह नहीं है. हिमाचल 10 साल पीछे चला गया. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से जो प्रस्ताव आया है, उसकी मंशा कुछ और है.