हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / state

हिमाचल जायका नर्सरी में 55 प्रजातियों के पौधे तैयार, जानें किन प्लांट्स से होगी ज्यादा कमाई

55 Plant Species in Himachal JICA Nursery: हिमाचल प्रदेश में जायका प्रोजेक्ट के तहत नर्सरियों में हाई क्वालिटी के पौधे तैयार किए जा रहे हैं. प्रदेश में जायका परियोजना के तहत 55 से ज्यादा पौधों की प्रजातियां तैयार की गई हैं. इससे हिमाचल के ग्रीन कवर को बढ़ाने में योगदान होगा.

55 Plant Species in Himachal JICA Nursery
हिमाचल JICA नर्सरी में 55 पौधों की प्रजातियां तैयार

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 22, 2023, 1:29 PM IST

शिमला:हिमाचल प्रदेश को ग्रीन राज्य बनाने के लिए जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जायका) अपनी नर्सरियों में गुणवत्तायुक्त पौधे तैयार कर रही है. प्रदेश में जायका के तहत 66 रेंज व 6 सर्कल स्तर पर विकसित नर्सरियों में कई प्रजातियों के पौधे तैयार किए जा रहे हैं. जिसमें चिलगोजा, छरमा, देवदार, बान, तोष आदि 55 प्रजातियों वाले पौधे नर्सरियों में उपलब्ध हैं.

44 लाख पौधे तैयार: जायका प्रोजेक्ट के जरिए इन नर्सरियों की क्षमता करीब 80 लाख पौधे तक बढ़ाई गई है. इस साल करीब 44 लाख पौधे तैयार किए गए हैं. हिमाचल में ग्रीन कवर को साल 2030 तक 30 फीसदी बढ़ाने के लिए जायका परियोजना का अहम योगदान रहने वाला है. जायका के मुख्य परियोजना निदेशक नागेश कुमार गुलेरिया ने हाल ही में प्रदेश की सभी नर्सरियों का रिव्यू कर पौधे की प्रजातियों व बुनियादी ढांचों में सुधार करने के सुझाव दिए हैं.

औषधीय पौधा छरमा:हिमाचल प्रदेश में पहली बार छरमा की नर्सरी तैयार करने में जायका परियोजना की सबसे बड़ी भूमिका है. जिला लाहौल-स्पीति में तैयार होने वाला छरमा एक औषधीय गुण वाला पौधा है. जिसकी नर्सरी वाइल्ड लाइफ स्पीति व लाहौल के सीसू में तैयार की गई है. छरमा के पौधे सीसू और शैगो नर्सरी में भी तैयार किए जा रहे हैं. वहीं, आर्थिकी एवं औषधीय गुणों वाले चिलगोजा के पौधे जिला किन्नौर की छोल्टू नर्सरी में तैयार किए जा रहे हैं. जबकि फॉरेस्ट डिवीजन देहरा में चंदन के 10 हजार पौधे तैयार किए जा रहे हैं.

नर्सरी में मिलेंगे इन प्रजातियों के पौधे:हिमाचल प्रदेश की नर्सरियों में तोष, खैर, खनूर, टौर, कचनार, देवदार, शीशम, अमलूक, आंवला, लोकाट, बिहुल, अखरोट, डरेक, मौरस, रई, चिलगोजा, चील, चुल्ली, पाज्जा, बेहमी, कनकचंपा, दरू, कैंथ, मोहरू, बान, रोबीनिया, रीठा, जामुन, रखाल, बेहरा, हरड़, मरीनू आदि कई प्रजातियों के पौधों के अलावा जड़ी-बूटियों को भी नर्सरी में उगाया जा रहा है.

रोजगार का बेहतर विकल्प:वहीं, जायका परियोजना के तहत औषधीय पौधों से हो रही आय के कारण औषधीय पौधों के विकास को रेगुलेट किया जा रहा है. प्रदेश के युवाओं को रोजगार प्रदान करने के लिए ये एक महत्वाकांक्षी योजना है. इस प्रोजेक्ट के तहत विभिन्न सेल्फ हेल्प ग्रुप ने क्लस्टर लेवल पर हिम जड़ी- बूटियों की करीब 643 प्रजातियां तैयार की हैं. इनमें से कुछ प्रजातियों का व्यावसायिक महत्व के आधार पर चयन किया जाता है. जिसके बाद वन और निजी भूमि पर उन प्रजातियों के पौधों की खेती की जाती है. इसमें मुख्यतः सतावरी, एलोवेरा, तेज पत्ता, कडू और चरैता आदि शामिल हैं.

अतिरिक्त प्रधान मुख्य अरण्यपाल व जायका वानिकी के मुख्य परियोजना अधिकारी नागेश गुलेरिया ने बताया कि जायका प्रोजेक्ट के तहत हिमाचल प्रदेश में 66 रेंज और 6 सर्कल में नर्सरियां चलाई जा रही हैं. यहां पर हाई क्वालिटी के पौधे तैयार किए जाते हैं. इन नर्सरियों में 80 लाख पौधे तैयार करने की क्षमता है. मौजूदा समय में इन नर्सरियों में 44 लाख से ज्यादा पौधे स्टॉक में उपलब्ध हैं.

ये भी पढे़ं:JICA project In Himachal: हिमाचल में जायका के तहत 4600 हेक्टेयर भूमि पर पौधारोपण, बढ़ी हरियाली

ABOUT THE AUTHOR

...view details