शिमला: हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड के दो इंजीनियरों को हिमाचला हाई कोर्ट ने करारा सबक सिखाया है. तीस साल से राजधानी शिमला में नौकरी कर रहे इंजीनियर्स को अब लाहौल-स्पीति और किन्नौर जाना होगा. दरअसल, एक इंजीनियर की शिमला में ही चार किलोमीटर दूर ट्रांसफर की गई थी. बिजली बोर्ड का इंजीनियर इस तबादला आदेश को चुनौती देने हाई कोर्ट पहुंच गया. हाई कोर्ट से राहत तो दूर, अदालत ने उसे सबक सिखाते हुए याचिका खारिज कर दी. अपने तबादला आदेश को चुनौती देने वाली याचिका इंजीनियर राजेश ने दाखिल की थी. वहीं, प्रतिवादी देवेंद्र सिंह को एडजस्ट करने की सिफारिश कैबिनेट मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने की थी.
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कई कड़ी टिप्पणियां भी की हैं. हाई कोर्ट की सख्ती का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अदालत ने दोनों को जनजातीय जिलों में स्थानांतरित करने के न केवल आदेश जारी किए, बल्कि इन आदेशों की अनुपालना रिपोर्ट भी मांगी है. दोनों को ट्रांसफर करने के बाद बिजली बोर्ड प्रबंधन को अनुपालना रिपोर्ट हाई कोर्ट के समक्ष पेश करनी होगी. हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने एक मई को फैसले की अनुपालना रिपोर्ट तलब की है.
मामले से जुड़े रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद अदालत ने पाया कि दोनों ही इंजीनियर तीन दशक से भी अधिक समय से शिमला में नौकरी के लिए डटे हुए हैं. एक इंजीनियर राजेश का तबादला उसके वर्तमान कार्य स्थल से महज चार किलोमीटर दूर किया गया था. राजेश ने अपने तबादला आदेश को हाई कोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी. इंजीनियर राजेश ने आरोप लगाया था कि उसका तबादला राजनीतिक सिफारिश पर मल्याणा से डिविजन-दो कुसुम्पटी के लिए किया गया. उसने याचिका में आरोप लगाया था कि प्रतिवादी इंजीनियर देवेंद्र सिंह को एडजस्ट करने के लिए कैबिनेट मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने सिफारिश की है. सुनवाई के दौरान अदालत ने मामले से जुड़े रिकॉर्ड को तलब किया था.