शिमला: हिमाचल हाईकोर्ट में गुरुवार को एक हाई प्रोफाइल मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली खंडपीठ ने व्यवस्था के खिलाफ सख्त टिप्पणी की. अदालत ने कहा जिस व्यक्ति ने अपनी जान को खतरे जैसा गंभीर आरोप लगाया, उसकी प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी. वहीं, जिसके खिलाफ आरोप लगाए गए उसकी तरफ से तुरंत एफआईआर दर्ज कर ली गयी. मामला पालमपुर के कारोबारी निशांत शर्मा को धमकी देने से जुड़ा है. जिस मामले में कारोबारी ने हिमाचल के डीजीपी संजय कुंडू पर गंभीर आरोप लगाए हैं.
गुरुवार को मामले की हिमाचल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत की सख्ती के बाद निशांत कुमार शर्मा द्वारा अपने और अपने परिवार की जान को खतरा बताए जाने की शिकायत पर आज गुरुवार को ही कांगड़ा जिले में प्राथमिकी दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू हुई. सुनवाई के दौरान प्रदेश हाईकोर्ट में मौजूद डीएसपी ज्वालाजी की हिदायत पर महाधिवक्ता की ओर से इस आशय का वक्तव्य दिया गया. मामले पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने एसपी शिमला और कांगड़ा को आदेश दिए कि वे शिकायतकर्ता को उचित सुरक्षा मुहैया करवाए.
पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने इस मामले में एसपी शिमला और एसपी कांगड़ा से स्टेट्स रिपोर्ट तलब की थी. मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने हैरानी जताई की इस मामले में जान को खतरे जैसे गंभीर आरोप लगाने वाले पीड़ित की प्राथमिकी अभी तक दर्ज नहीं की गई. जबकि प्रार्थी के आरोपों से खुद को पीड़ित समझने वाले की तुरंत प्राथमिकी दर्ज कर ली गई. कोर्ट ने कहा कि प्रार्थी ने गंभीर आरोप लगाते हुए गैंगस्टर से अपने और अपने परिवार की जान को खतरे की बात कही है, फिर भी उसके लगाए आरोपों पर कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई. जबकि मानहानि के आरोप लगाने वाले की तुरंत एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई.