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हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी, जान को खतरे जैसा गंभीर आरोप लगाने वाले की शिकायत पर दर्ज नहीं हुआ मामला, डीजीपी की शिकायत पर एकदम कैसे हुई एफआईआर - हिमाचल हाईकोर्ट डीजीपी विवाद पर सख्त

High Court Strict On DGP And Nishant Sharma Dispute: हिमाचल प्रदेश के डीजीपी संजय कुंडू से जुड़ी हाई प्रोफाइल मामले में हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कारोबारी निशांत शर्मा द्वारा डीजीपी से जान को खतरे जैसा गंभीर आरोप की शिकायत के बावजूद एफआईआर दर्ज नहीं हुआ, लेकिन डीजीपी की शिकायत पर एकदम कैसे एफआईआर दर्ज हो गई?

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 16, 2023, 8:00 PM IST

शिमला: हिमाचल हाईकोर्ट में गुरुवार को एक हाई प्रोफाइल मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली खंडपीठ ने व्यवस्था के खिलाफ सख्त टिप्पणी की. अदालत ने कहा जिस व्यक्ति ने अपनी जान को खतरे जैसा गंभीर आरोप लगाया, उसकी प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी. वहीं, जिसके खिलाफ आरोप लगाए गए उसकी तरफ से तुरंत एफआईआर दर्ज कर ली गयी. मामला पालमपुर के कारोबारी निशांत शर्मा को धमकी देने से जुड़ा है. जिस मामले में कारोबारी ने हिमाचल के डीजीपी संजय कुंडू पर गंभीर आरोप लगाए हैं.

गुरुवार को मामले की हिमाचल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत की सख्ती के बाद निशांत कुमार शर्मा द्वारा अपने और अपने परिवार की जान को खतरा बताए जाने की शिकायत पर आज गुरुवार को ही कांगड़ा जिले में प्राथमिकी दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू हुई. सुनवाई के दौरान प्रदेश हाईकोर्ट में मौजूद डीएसपी ज्वालाजी की हिदायत पर महाधिवक्ता की ओर से इस आशय का वक्तव्य दिया गया. मामले पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने एसपी शिमला और कांगड़ा को आदेश दिए कि वे शिकायतकर्ता को उचित सुरक्षा मुहैया करवाए.

पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने इस मामले में एसपी शिमला और एसपी कांगड़ा से स्टेट्स रिपोर्ट तलब की थी. मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने हैरानी जताई की इस मामले में जान को खतरे जैसे गंभीर आरोप लगाने वाले पीड़ित की प्राथमिकी अभी तक दर्ज नहीं की गई. जबकि प्रार्थी के आरोपों से खुद को पीड़ित समझने वाले की तुरंत प्राथमिकी दर्ज कर ली गई. कोर्ट ने कहा कि प्रार्थी ने गंभीर आरोप लगाते हुए गैंगस्टर से अपने और अपने परिवार की जान को खतरे की बात कही है, फिर भी उसके लगाए आरोपों पर कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई. जबकि मानहानि के आरोप लगाने वाले की तुरंत एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई.

अब कोर्ट ने मामले पर अगली सुनवाई 22 नवंबर को निर्धारित की है. मामले के अनुसार निशांत कुमार शर्मा ने 28 अक्टूबर 2023 को हाईकोर्ट को ईमेल के माध्यम से अपने और अपने परिवार की जान को खतरे की बात लिखी है. प्रार्थी ने लिखा है कि वह चिंतित और भयभीत है कि उन्हें या तो पुलिस प्रमुख संजय कुंडू द्वारा मार दिया जाएगा या गंभीर रूप से डराया धमकाया जाएगा. कारोबारी ने लिखा है कि गुरुग्राम में भी उस पर हमला हो चुका है, जिसमें वह बच गया. इस वारदात की रिपोर्ट को वापस लेने के लिए उस पर दो बाइक सवार व्यक्तियों ने भागसूनाग और मैक्लोडगंज के बीच वाले रास्ते में रोक कर धमकाया.

ई-मेल के मुताबिक डीजीपी कार्यालय से उसे एक ही दिन में 14 फोन आए. उसे डीएसपी व एसएचओ पालमपुर ने भी फोन किए. एसएचओ पालमपुर ने व्हाट्सएप मैसेज कर बताया कि डीजीपी उससे बात करना चाहते हैं. इसलिए उसे डीजीपी कार्यालय में वापिस कॉल कर लेनी चाहिए. कॉल बैक करने पर डीजीपी ने कहा कि निशांत तुम शिमला आओ और उनसे मिलो. इस पर जब उसने कहा कि वह क्यों उनसे मिले तो डीजीपी ने कहा कि उसे शिमला आना होगा और उनसे मिलना होगा. ईमेल के माध्यम से निशांत ने हिमाचल के ही दो रसूखदार लोगों पर उससे जबरन वसूली का दबाव बनाने की बात कही है. मुख्य न्यायाधीश ने ईमेल पर संज्ञान लेते हुए प्रशासनिक आदेशों से इसे अपराधिक रिट याचिका पंजीकृत करने के आदेश दिए थे.

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