शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने पॉक्सो से जुड़े मामलों में अहम फैसला दिया है. अदालत ने स्पष्ट किया है कि अगर पीड़िता की सहमति से मामला सुलझ जाता है तो ऐसी स्थिति में एफआईआर रद्द करने में हाईकोर्ट को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए. हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने हाईकोर्ट की दो अलग अलग एकल पीठ द्वारा पारित विरोधाभासी फैसले के कारण उपजे विवाद पर अपनी कानूनी स्थिति स्पष्ट की.
2 एकल पीठ में विरोधाभास: हाईकोर्ट की एक एकल पीठ का यह मत था कि अगर उपरोक्त परिस्थितियों में दोनों पक्षों के बीच सुलह हो जाती है तो उस स्थिति में उच्च न्यायालय को आरोपी के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने में कोई आपत्ति नहीं हो सकती है. वहीं, दूसरी एकल पीठ का मत था कि उपरोक्त परिस्थितियों में अगर दोनों पक्षों की सुलह भी हो जाती है, तो उन परिस्थितियों में भी आरोपी के खिलाफ प्राथमिकी रद्द नहीं हो सकती है. जबकि हाई कोर्ट की युगल पीठ ने मामले से जुड़े रिकॉर्ड के दृष्टिगत पाया कि नाबालिग पीड़िता और उसके परिजनों ने मामले को सुलझा लिया है और पीड़िता शांति से अपनी खुशहाल जिंदगी जी रही है.