शिमला: हाईकोर्ट ने मानव भारती विश्वविद्यालय द्वारा छात्रों को जारी किए डिटेलड मार्क्स प्रमाणपत्रों का सत्यापन करने वाली जांच कमेटी को एक बार फिर फटकार लगाई है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने आश्चर्य जताया कि फर्जी डिग्री घोटाला सामने आने के 3 साल बाद भी जांच कमेटी छात्रों को दी गई प्रमाणिक डिग्रियों और फर्जी डिग्रियों को नहीं छांट पाई. कोर्ट ने जांच कमेटी को फटकार लगाते हुए कहा कि यह अदालत प्रभावित छात्रों को दशकों तक अपनी मेहनत से हासिल की गई डिग्रियों का इंतजार नहीं करने देगी. लगभग 2300 डिग्रीधारकों में से 250 के लगभग छात्रों ने अदालत को पत्र लिख कर या अपनी निजी याचिकाएं दायर कर हाईकोर्ट का रुख कर अपनी वास्तविक डिग्रियां दिलवाने की गुहार लगाई है.
प्रार्थियों का कहना था कि उनके नाम विश्विद्यालय की ओर से स्पॉन्सर न होने के कारण उन्हें उच्चतर शिक्षा के लिए दाखिला भी नहीं मिल पा रहा है. उन जैसे सैंकड़ों निर्दोष छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है और उनकी स्थिति को समझने में कोई भी प्राथमिकता नहीं दे रहा. प्रार्थियों ने जांच कमेटी द्वारा तय मापदंडों को काफी सख्त बताते हुए कहा कि उन मापदंडों के आधार पर डिग्रियों को हासिल बेहद मुश्किल है. कोर्ट के आदेशानुसार कमेटी को ऐसे मापदंड तय करने के आदेश दिए गए थे कि जिनके आधार पर छात्रों को दस्तावेजों की प्रतिलिपियां दी जा सके. उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट के निर्देशानुसार निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग ने मानव भारती विश्विद्यालय के फर्जी डिग्रियों से संबंधित दस्तावेजों की जांच और उनका सत्यापन करने के लिए कमेटी गठित करने का आदेश दिया था. छात्रों का कहना था कि डिटेल मार्क्स सर्टिफिकेट का सत्यापन न होने से उनका भविष्य अधर में लटका हुआ है.