शिमला: चरस और अफीम की तस्करी से जुड़े एक दिलचस्प मामले में हाईकोर्ट ने नशा तस्कर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी. हाईकोर्ट ने कहा मादक पदार्थों से जुड़े अपराध न केवल व्यक्ति विशेष बल्कि समाज को भी बुरी तरह से प्रभावित करते हैं. ऐसे में नशे से जुड़े अपराधों को हल्के में नहीं लिया जा सकता. मामले के अनुसार ऊना जिला के अरनियाला तहसील के निवासी परवीन कुमार ने हाईकोर्ट में जमानत के लिए अग्रिम याचिका लगाई थी. हाईकोर्ट ने उसकी याचिका को ऊपर लिखी टिप्पणी के साथ खारिज कर दिया. हाईकोर्ट ने याचिका को आधारहीन पाया.
दरअसल, पिछले महीने 18 तारीख को ऊना पुलिस को सूचना मिली थी कि तस्करी के मामले में परवीन कुमार के सह आरोपी कुलभूषण नामक व्यक्ति की झोपड़ी में भारी मात्रा में नशीले पदार्थ मौजूद हैं. पुलिस के पास आई गुप्त सूचना के अनुसार यदि जल्द ही झोंपड़ी की तलाशी ली जाए तो नशीले पदार्थ बरामद हो सकते हैं. ऊना पुलिस ने तुरंत एक पुलिस दल का गठन किया और झोपड़ी में रेड की. तलाशी में पुलिस ने झोंपड़ी से 509 ग्राम चरस और 1 किलो 30 ग्राम अफीम बरामद की.
तस्करी के सह आरोपी कुलभूषण से पूछताछ की गई तो उसने बताया कि वह और अग्रिम जमानत याचिका दाखिल करने वाला परवीन कुमार अफीम खरीदने के लिए नेपाल बॉर्डर के पास टनकपुर गए थे. पुलिस ने परवीन कुमार को कई जगह ढूंढा, लेकिन वह नहीं मिला. फिर पुलिस ने कुलभूषण व परवीन कुमार की कॉल डिटेल को खंगाला. साथ ही सीसीटीवी फुटेज देखी तो पाया कि ये दोनों साथ-साथ नेपाल बॉर्डर गए थे. जिस गाड़ी में ये दोनों गए थे, उसकी तलाशी में भी 100 ग्राम अफीम मिली.
जमानत याचिका दाखिल करने वाले प्रार्थी परवीन कुमार का कहना था कि वह सह आरोपी कुलभूषण के साथ गाड़ी ड्राइवर के रूप में नेपाल बॉर्डर गया था. हाईकोर्ट ने जांच रिकॉर्ड के आधार पर पाया कि परवीन कुमार वारदात में शामिल गाड़ी में पाया गया था और गाड़ी से मादक पदार्थ भी बरामद किया गया. इससे ये प्रतीत होता है कि प्रार्थी परवीन कुमार अफीम की माल ढुलाई में शामिल था. इस पर हाईकोर्ट ने सारे मामले का अवलोकन करते हुए अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी.
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