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सरदार पटेल यूनिवर्सिटी मंडी की प्रो-वीसी को वापस एचपीयू भेजने का फैसला जायज, हाईकोर्ट ने खारिज की अनुपमा सिंह की याचिका - Himachal Pradesh High Court

Himachal High Court Rejected Anupama Singh Petition: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सरदार पटेल यूनिवर्सिटी मंडी की प्रो-वीसी अनुपमा सिंह की याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने एसपीयू मंडी की प्रो-वीसी अनुपमा को को वापस एचपीयू भेजने के फैसले को जायज ठहराया है. पढ़िए पूरी खबर...

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 17, 2023, 7:32 PM IST

शिमला: हाईकोर्ट ने सरदार पटेल यूनिवर्सिटी मंडी की प्रो-वीसी (प्रति कुलपति) प्रोफेसर अनुपमा सिंह को वापस हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी (एचपीयू) भेजने के फैसले को जायज ठहराया है. हाईकोर्ट ने इस मामले में अनुपमा सिंह की तरफ से दाखिल की गई याचिका को खारिज कर दिया है. प्रोफेसर अनुपमा सिंह असाधारण अवकाश (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी लीव) लेकर सरदार पटेल यूनिवर्सिटी में आई थीं. एचपीयू की ईसी यानी कार्यकारी परिषद की बैठक में फैसला लिया गया था कि अनुपमा सिंह को सरदार पटेल यूनिवर्सिटी से वापस बुलाया जाए.

अनुपमा सिंह ने एचपीयू ईसी के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. याचिका में अनुपमा सिंह ने कहा कि ईसी का ये फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है और राजनीतिक द्वेष की वजह से लिया गया है. हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि उपरोक्त फैसले में कुछ भी द्वेषपूर्ण नहीं है. प्रार्थी अनुपमा ने याचिका में सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार के सत्ता संभालने के बाद गठित की गई एचपीयू की नई एक्जीक्यूटिव काउंसिल पर द्वेष पूर्वक उसका असाधारण अवकाश रद्द करने का आरोप लगाया था.

प्रार्थी ने एक्जीक्यूटिव काउंसिल पर शक्तियों के दुरुपयोग का आरोप भी लगाया था. याचिका में आरोप लगाया गया था कि उसके खिलाफ यह कार्रवाई वर्तमान सरकार की उस नीति का हिस्सा है, जिसमें सरकार उस जैसे पद संभालने वालों से छुटकारा पाना चाहती है जो उनके समक्ष झुकने को तैयार नहीं हैं. मामले के अनुसार प्रार्थी अनुपमा सिंह एचपीयू में लोक प्रशासन विभाग में प्रोफेसर के पद पर नियुक्त हैं, लेकिन इन दिनों सरदार पटेल यूनिवर्सिटी मंडी में प्रो वाइस चांसलर का दायित्व निभा रही है.

प्रार्थी को 20 अप्रैल 2022 को एसपीयू मंडी का प्रो वीसी नियुक्त किया गया था. इस नियुक्ति के बाद प्रार्थी ने एचपीयू से तीन साल के लिए एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी लीव के लिए आवेदन किया. एचपीयू की तत्कालीन एक्जीक्यूटिव काउंसिल ने 20 जुलाई 2022 को उन्हें बिना वेतन तीन साल के लिए असाधारण छुट्टी देने का निर्णय ले लिया. प्रदेश में कांग्रेस सरकार का गठन होने के बाद एचपीयू की नई एक्जीक्यूटिव काउंसिल ने 6 अप्रैल 2023 को प्रार्थी को दी गई. असाधारण छुट्टियां रद्द करते हुए उन्हें वापस बुला लिया. इसके बाद एचपीयू ने 8 मई 2023 को उन्हें वापिस आकर आईसीडीईओएल (दूरवर्ती अध्ययन संस्थान) में ज्वाइनिंग देने के आदेश जारी किए.

इन आदेशों को प्रार्थी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने फिलहाल इन आदेशों पर रोक लगा रखी थी. वहीं, हाईकोर्ट ने प्रार्थी की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी लीव हो या ऑर्डिनरी लीव, कोई भी कर्मी छुट्टी पाने का निहित अधिकार नहीं रखता. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अवकाश सेवा शर्तों के अधीन होता है. सेवा की अनिवार्यता पर इसे नियोक्ता कभी भी रद्द अथवा अस्वीकार कर सकता है.

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