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पंजाब के निजी शिक्षण संस्थान को भरना होगा 16.46 लाख का जुर्माना, हिमाचल हाई कोर्ट ने दिए सख्त आदेश - पंजाब के निजी शिक्षण संस्थान पर हिमाचल हाई कोर्ट

जाब के एक निजी शिक्षण संस्थान नियमों के खिलाफ एनटीटी कोर्स करवाने पर 16.46 लाख रुपए का जुर्माना हर हाल में भरना होगा. हिमाचल हाई कोर्ट ने पंजाब के एनसीएफएससी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस को जुर्माना भरने के सख्त आदेश जारी किए हैं.

Himachal High Court
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Published : Mar 10, 2023, 9:08 PM IST

शिमला: पंजाब के एक निजी शिक्षण संस्थान नियमों के खिलाफ एनटीटी कोर्स करवाने पर 16.46 लाख रुपए का जुर्माना हर हाल में भरना होगा. हिमाचल हाई कोर्ट ने पंजाब के एनसीएफएससी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस को जुर्माना भरने के सख्त आदेश जारी किए हैं. हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने स्पष्ट किया है कि जुर्माने की राशि जमा करवाने पर ही मामले में आगे सुनवाई होगी.

पंजाब का उक्त निजी शिक्षण संस्थान राहत की अपील लेकर हिमाचल हाई कोर्ट आया था. इस ग्रुप पर हिमाचल प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग ने जांच के बाद जुर्माना लगाया था. इस मामले में फिलहाल एनसीएफएससी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस को हाई कोर्ट से राहत नहीं मिली. इस संदर्भ में हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में दर्ज तथ्यों के अनुसार नियमों के खिलाफ एनटीटी से जुड़े कोर्स करवाने के लिए निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग ने पंजाब के उक्त एजुकेशन ग्रुप पर 16.46 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था.

हिमाचल में एनसीटीई नियमों के विपरीत कोर्स करवाने पर राज्य निजी शिक्षा नियामक आयोग ने ये कार्रवाई की थी. नियामक आयोग ने प्रारंभिक शिक्षा निदेशक को संस्थान के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाने के भी आदेश भी दिए थे. आयोग के इन आदेशों के खिलाफ पंजाब का ये शिक्षण संस्थान हाई कोर्ट के समक्ष आया है. प्रार्थी शिक्षण संस्थान एनसीएफएससी के अनुसार नियामक आयोग का फैसला तथ्यों के विपरीत है. वहीं, नियामक आयोग की ओर से दलील दी गई थी कि आयोग का फैसला तथ्यों पर आधारित है.

कोर्ट को बताया गया कि संस्थान ने हिमाचल में 60 से अधिक एनटीटी के कोर्स करवाने के लिए छात्रों से फीस वसूली है. नियामक आयोग ने अदालत में बताया कि पंजाब के संस्थान ने राज्य सरकार से कोर्स करवाने के लिए जरूरी एनओसी यानी अनापत्ति प्रमाण पत्र और स्वीकृति नहीं ली है. हाई कोर्ट के ध्यान में लाया गया कि आयोग ने पहले संस्थान पर 34.05 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था. फिर संस्थान ने आयोग में लपुनर्विचार याचिका लगाई, जिसे स्वीकार करते हुए जुर्माने की राशि को कम करते हुए 16.46 लाख रुपये कर दिया है. याचिकाकर्ता संस्थान ने कोर्ट से आयोग के निर्णय को निरस्त करने की गुहार लगाई है. वहीं, हाई कोर्ट ने कहा कि पहले जुर्माने की रकम जमा करवाई जाए, उसके बाद ही आगे की सुनवाई होगी.

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