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कुल्लू में आध्यात्मिक गुरू खेम सिंह पर जानलेवा हमले के मामले में CID करेगी जांच, हाई कोर्ट ने दिए आदेश

कुल्लू में आध्यात्मिक गुरू खेम सिंह पर जानलेवा हमले के मामले में हाई कोर्ट ने जांच का जिम्मा स्टेट सीआईडी को सौंपने के आदेश दिए हैं. पढ़ें पूरा मामला...

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हिमाचल हाई कोर्ट (फाइल फोटो)

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Published : Mar 13, 2023, 9:18 PM IST

शिमला:जिला कुल्लू में आध्यात्मिक गुरू खेम सिंह पर जानलेवा हमले के मामले में हाई कोर्ट ने जांच का जिम्मा स्टेट सीआईडी को सौंपने के आदेश दिए हैं. मामला पांच साल पुराना है. कुल्लू जिला के गदौरी में 3 जून 2018 को सिक्खों के आध्यात्मिक गुरु पर जानलेवा हमला किया गया था. इस हमले में धर्मगुरु खेम सिंह घायल हो गए थे. इस संदर्भ में सर्वहितकारी आध्यात्मिक केंद्र ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर ने याचिका का निपटारा करते हुए मामले की जांच स्टेट सीआईडी को सौंप दी. प्रार्थियों ने इस हमले की जांच सीबीआई जैसी स्वतंत्र एजेंसी से करवाने की मांग की थी, लेकिन हाई कोर्ट ने इस जांच का जिम्मा स्टेट सीआईडी को सौंपने के आदेश जारी किए.

इस मामले में आरोप लगाया गया था कि धर्मगुरू खेम सिंह कुल्लू के शमशी में स्थित जालपा नामक व्यक्ति के घर प्रवचन के लिए जा रहे थे, तभी गदौरी नामक जगह पर पांच-छह लोग डंडे, तलवारें और रॉड लेकर आए. डंडों, तलवारों से लैस लोगों ने धर्मगुरू पर पीछे से हमला कर दिया. इस अचानक हमले में धर्मगुरू खेम सिंह बेसुध होकर जमीन पर गिर गए और उन्हें शरीर पर लगभग 35 चोटें आईं. हमले के बाद बदमाश आपस में यह बात करते हुए घटनास्थल से फरार हो गए कि खेम सिंह का प्राणांत हो गया है. जांच के दौरान घायल धर्मगुरू ने पुलिस को यह भी बताया था कि बदमाश यह भी कह रहे थे कि बाबा बलजीत सिंह ने उन्हें खेमसिंह को जान से मारने के लिए कहा है. खेम सिंह ने यह भी कहा था कि बाबा बलजीत सिंह उस पर कई बार हमले करवा चुका है और ये हमला करने वाले लोग भी उसी के भेजे हुए हैं.

पुलिस स्टेशन भुंतर ने मारपीट करने वाले छह लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू की. प्रार्थियों ने पुलिस जांच पर आपत्ति दर्ज करते हुए इसकी जांच स्वतंत्र एजेंसी से करवाने की मांग की थी. वहीं, पुलिस का कहना था कि उन्होंने इस मामले की गहनता से जांच की है और करीब 300 लोगों से पूछताछ की. जांच में घटना में इस्तेमाल की गई गाड़ी की नंबर प्लेट फर्जी पाई गई. पूरी जांच करने के बाद मामले में शामिल लोगों का पता नहीं लगाया जा सका.

इस कारण पुलिस की ओर से मामले को बंद करने के लिए सक्षम अदालत के समक्ष अनट्रेस्ड रिपोर्ट दाखिल की गई. इस पर हाई कोर्ट ने पाया कि दिन-दहाड़े घटना को अंजाम दिया गया. स्थानीय निवासियों ने हमलावरों को देखा और घटना की पुष्टि की थी. हाई कोर्ट ने घटना की परिस्थितियों को देखते हुए कहा कि इस मामले आगामी जांच जरूरी है. इसलिए कोर्ट ने डीजीपी को आदेश दिए कि वह इस मामले की जांच स्टेट सीआईडी को 21 मार्च तक सौंप दें. हाई कोर्ट ने स्टेट सीआईडी को यह जांच 30 जून तक पूरी करने को भी कहा है.

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