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हिमाचल हाई कोर्ट का सरकार को आदेश, कैबिनेट में रखा जाए सहायक जिला न्यायवादियों के पदों को भरने का मामला - हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार को आदेश दिए हैं कि सहायक जिला न्यायवादियों के पदों को भरने का मामला कैबिनेट में रखा जाए. इसके लिए हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को तीन हफ्ते का समय दिया है.

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट
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Published : Mar 3, 2023, 10:26 PM IST

शिमला: राज्य में सहायक जिला न्यायवादियों के पदों को भरने से जुड़े मामले में हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को एक अहम आदेश दिया है. हाई कोर्ट ने सहायक जिला न्यायवादियों के पदों को भरने के लिए पात्र वकीलों की अधिकतम आयु सीमा 35 से 45 वर्ष करने से जुड़े एजेंडे को कैबिनेट के समक्ष रखने के लिए आदेश जारी किए हैं. अदालत ने राज्य सरकार से कहा है कि इस मामले में तीन सप्ताह में काम किया जाए. यानी हाई कोर्ट ने इसके लिए राज्य सरकार को तीन हफ्ते का समय दिया है.

यही नहीं, हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से 24 मार्च तक इस संबंध में अदालत में हिदायत पेश करने के आदेश भी दिए. हिमाचल हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ के समक्ष इस मामले पर सुनवाई हुई. खंडपीठ ने उचित निर्देश जारी करने के बाद अब मामले की सुनवाई 24 मार्च को निर्धारित की है. मामले के अनुसार हिमाचल प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग ने सहायक जिला न्यायवादियों के 25 पदों को भरने के लिए 24 नवंबर 2021 को आवेदन आमंत्रित किए थे. आयोग की तरफ से आवेदन की अंतिम तिथि 31 दिसंबर तय की गई थी.

इसके अलावा छंटनी परीक्षा की तारीख 17 अप्रैल 2022 को निर्धारित की गई थी. इस परीक्षा के लिए पात्र अभ्यर्थियों की अधिकतम आयु 35 वर्ष रखी गई थी. इस अधिकतम आयु सीमा को कुछ वकीलों ने हाई कोर्ट में चुनौती दी है. प्रार्थियों का कहना है कि एडीए के पद पहले क्लास थ्री कैटेगरी के हुआ करते थे. फिर इन पदों को 21 मई 2009 को जारी अधिसूचना के तहत क्लास वन गजेटेड के पद बना दिया गया था.

क्लास वन के पद होने के बावजूद इनके लिए अधिकतम आयु सीमा 35 वर्ष ही रखी गई. इस मामले में चुनौती देने वाले वकीलों ने तर्क दिया है कि अन्य क्लास वन पदों के लिए अधिकतम आयु सीमा 45 वर्ष है. उन्होंने हाई कोर्ट से आग्रह किया था कि इस मामले में सरकार को उचित निर्देश दिए जाएं. हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि इस मामले में कैबिनेट में तीन सप्ताह में एजेंडे में शामिल किया जाए.

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