शिमला: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में इंस्पेक्टर ग्रेड -1 के पद की वरिष्ठता सूची को रद्द करने के आदेश पारित कर दिए हैं. हाईकोर्ट ने अब इस पद की वरिष्ठता सूची फिर से जारी करने के आदेश दिए हैं. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य ने मामले से जुड़े तथ्यों व रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद यह पाया कि निजी तौर पर बनाए प्रतिवादी को प्रार्थी से वरिष्ठ दर्शाने के इरादे से कानून के विपरीत काम किया और उसे प्रार्थी के ऊपर वरिष्ठता सूची में स्थान दे दिया. (Himachal High Court)
याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार प्रार्थी व प्रतिवादी खाद्य आपूर्ति विभाग में सब इंस्पेक्टर के पद पर वर्ष 1988 में नियुक्त हुए थे. सब इंस्पेक्टर के पद को इंस्पेक्टर ग्रेड 2 के पद पर तब्दील कर दिया गया. प्रार्थी को वरिष्ठ होने के कारण वरिष्ठता सूची में निजी तौर पर प्रतिवादी बनाए इंस्पेक्टर ग्रेड 2 से पहले स्थान दिया गया था. इंस्पेक्टर ग्रेड-2 के पद से पदोन्नति के लिए दो चैनल रखे गए थे. वह या तो इंस्पेक्टर ग्रेड-1 बन सकते थे या हेड एनालिस्ट की पद पर प्रमोट हो सकते थे.
निजी प्रतिवादी ने हेड एनालिस्ट के पद पर पदोन्नति के लिए विकल्प दिया. वह हेड एनालिस्ट के पद पर 30 अगस्त 2006 को पदोन्नत हो गई. 1 वर्ष तक हेड एनालिस्ट के पद पर सेवा करने के पश्चात उसने 6 सितंबर 2007 को प्रतिवेदन दिया कि उसे इंस्पेक्टर ग्रेड-1 के पद पर पदोन्नत किया जाए. विभाग ने उसके प्रतिवेदन को स्वीकार कर लिया और उसे इंस्पेक्टर ग्रेड-1 के पद से 9 अप्रैल 2008 को पदोन्नत कर दिया.
निजी प्रतिवादी को प्रार्थी से वरिष्ठता सूची में ऊपर स्थान देने के आदेश पारित किए गए और उसे 10 जनवरी 2007 से इंस्पेक्टर ग्रेड 1 मान लिया गया और प्रार्थी को वरिष्ठता सूची में पीछे धकेल दिया, क्योंकि 10 जनवरी 2007 के पश्चात प्रार्थी को पदोन्नत किया गया था. प्रदेश उच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि जब निजी तौर पर बनाए प्रतिवादी ने हेड एनालिस्ट के पद पर पदोन्नति देने के लिए विकल्प दिया था तो उसे इंस्पेक्टर ग्रेड-1 के पद पर पदोन्नत नहीं किया जा सकता था. विभाग के निर्णय को गलत पाते हुए प्रार्थी को वरिष्ठता सूची में उचित स्थान देने के साथ-साथ सभी सेवा लाभ दिए जाने के आदेश पारित किए हैं.
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