शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने छह साल पहले नेशनल हाईवेज के किनारों पर शौचालय व अन्य मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवाने के आदेश जारी किए थे. सभी जिलों के डीसी को ये आदेश दिए गए थे कि नेशनल हाईवे के किनारे सभी मूलभूत सुविधाएं होनी चाहिए. इस मामले की ताजा सुनवाई पर कोर्ट मित्र ने बताया कि 2017 में पारित आदेश को लेकर अभी भी स्थिति जस की तस है. इस पर हिमाचल हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई है.
अदालत ने कहा कि महाधिवक्ता कार्यालय के आदेश को हल्के में लेने पर ये माना जाएगा कि हाई कोर्ट के ही आदेश हल्के में लिए जा रहे हैं. ये प्रवृत्ति सहन नहीं होगी. अब हिमाचल हाई कोर्ट ने हाईवे के किनारों पर शौचालयों सहित अन्य मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध न करवाने से जुड़े मामले में राज्य सरकार के मुख्य सचिव को दो हफ्ते के भीतर शपथ पत्र दाखिल करने के आदेश जारी किए हैं. यही नहीं, हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव को इस मामले में छह साल में उठाए गए कदमों की व्यापक रिपोर्ट भी दाखिल करने के आदेश दिए हैं.
मामले के अनुसार हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में विगत छह साल यानी वर्ष 2017 से सड़कों के किनारे मूलभूत सुविधाओं की कमी को लेकर एक जनहित याचिका पर सुनवाई हो रही है. तब से लेकर अभी तक हाई कोर्ट ने सरकार को इस बारे में समय-समय पर कई निर्देश जारी किए हैं. इन निर्देशों में सरकार को हाईवे के किनारे वांछित सुविधाएं उपलब्ध कराने के आदेश जारी किए गए. मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र ने बताया कि जो स्थिति 2017 में थी, अभी भी वैसी ही है. अब हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव को सड़कों के किनारे शौचालय सुविधाओं की जानकारी देने को कहा है.