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मकान मालिक को अपनी संपत्ति का आनंद लेने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता, आवासीय परिसर के किराएदार का कमर्शियल परिसर में दोबारा प्रवेश का दावा गलत

हिमाचल हाईकोर्ट ने किराएदार प्रकाश कौर की याचिका पर एक अहम फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने कहा मकान मालिक को अपनी संपत्ति का आनंद लेने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता. आवासीय परिसर के किराएदार का कमर्शियल परिसर में दोबारा प्रवेश का दावा गलत है. पढ़िए पूरी खबर...(Himachal High Court )

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 30, 2023, 9:37 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला दिया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी भी मकान मालिक को उसकी संपत्ति का पूरा आनंद लेने का अधिकार है. उसे इस अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता. अदालत ने कहा कि आवासीय परिसर में रहने वाला किराएदार बाद में उसी परिसर को वाणिज्यिक परिसर में तब्दील होने पर फिर से प्रवेश का दावा नहीं कर सकता. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर ने ये फैसला दिया है.

हाईकोर्ट ने किराएदार प्रकाश कौर की याचिका का निपटारा करते हुए उपरोक्त फैसला सुनाया. हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि किरायेदार को हिमाचल प्रदेश शहरी किराया नियंत्रण अधिनियम-1987 में दोबारा प्रवेश का अधिकार प्रदान किया गया है. हालांकि, ऐसा अधिकार पक्के तौर पर रूप से पूर्ण अधिकार नहीं है. किसी मकान मालिक को अपनी संपत्ति का पूरा आनंद लेने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि भवन के पुनर्निर्माण के बाद यदि भवन को किराए पर देना हो तो सिर्फ उसी सूरत में ही किरायेदारों को परिसर में दोबारा प्रवेश का अधिकार होगा.

कोर्ट ने कहा कि यदि परिसर को वैध जरूरत के लिए खाली करने का आदेश दिया गया है और मालिक आवासीय भवन को व्यावसायिक परिसर में बदल देता है तो उस स्थिति में आवासीय परिसर में रहने वाला किरायेदार नवनिर्मित वाणिज्यिक परिसर में दोबारा प्रवेश का दावा नहीं कर सकता है. इसी तरह यदि मकान मालिक अपने व्यवसाय का विस्तार करने का इरादा रखता है और व्यावसायिक गतिविधि के लिए परिसर का पुनर्निर्माण करता है तो ऐसी स्थिति में भी मकान मालिक पर किरायेदार को थोपना उचित नहीं है. ऐसा करना किरायेदार के व्यवसाय विस्तार की योजना में कटौती करने का उल्लंघन है.

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में ये स्पष्ट किया कि यदि मकान मालिक ने भवन को अपने इस्तेमाल के लिए पुनर्निर्माण कर किराए पर देने के लिए नहीं बनाया है तो उसे इसके लिए मजबूर नहीं किया जा सकता. साथ ही अदालत ने ये भी कहा कि यदि मकान मालिक ने भवन को इस तरह से बनाया है कि किरायेदार के थोपने से उसके परिवार की गोपनीयता प्रभावित होती है तो भी किराएदार को दोबारा प्रवेश का अधिकार नहीं है.

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