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Himachal High Court: अडानी ग्रुप को पैसा लौटाने के मामले में हिमाचल हाई कोर्ट ने रिजर्व रखा फैसला, जानिए क्या है पूरा मामला - अडानी ग्रुप को 280 करोड़ लौटाने पर हाईकोर्ट

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के आदेशों के बाद अब प्रदेश सरकार की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. हिमाचल हाई कोर्ट ने अडानी समूह की कंपनी मैसर्स अडानी पावर लिमिटेड के 280 करोड़ रुपए ब्याज सहित लौटाने के मामले में फैसले को रिजर्व करके रख लिया है. इस मामले पर 6 दिन तक सुनवाई चली. (Himachal High Court on Returning 280 crore to Adani Group)

Himachal High Court
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 11, 2023, 10:26 AM IST

शिमला: अडानी समूह की कंपनी मैसर्स अडानी पावर लिमिटेड के 280 करोड़ रुपए ब्याज सहित लौटाने के मामले में हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने अपना फैसला रिजर्व रख लिया है. इस मामले में छह दिन तक चली सुनवाई के बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया गया है. अदालत में राज्य सरकार व अडानी समूह की तरफ से एक-दूसरे के खिलाफ दाखिल की गई अपीलों पर सुनवाई हुई. ये सुनवाई छह दिन तक चली और अब अदालत ने अपना फैसला रिजर्व कर लिया है. मामले की सुनवाई हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर व न्यायमूर्ति बिपिन चंद्र नेगी की खंडपीठ कर रही है.

प्रदेश सरकार की बढ़ी मुश्किलें:उल्लेखनीय है कि इस मामले में हिमाचल हाई कोर्ट की एकल पीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिए थे कि वो जंगी-थोपन-पोवारी हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के लिए जमा की गई 280 करोड़ रुपए की अपफ्रंट मनी को अडानी समूह को वापिस करे. राज्य सरकार ने इस मामले में अपील करने के लिए देरी कर दी थी। इस पर राज्य सरकार को अपील दाखिल करने में हुई देरी को माफ करने के लिए भी आवेदन देना पड़ा था. राज्य सरकार ने अदालत में अपफ्रंट मनी वापिसी के आदेश पर रोक लगाने की गुहार भी लगाई थी, लेकिन कोर्ट ने एकल पीठ के निर्णय पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था.

हिमाचल हाई कोर्ट के आदेश: हिमाचल हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने अपने विगत फैसले में 12 अप्रैल 2022 सरकार को आदेश दिए थे कि वह 4 सितंबर 2015 को तत्कालीन वीरभद्र सिंह सरकार की कैबिनेट में लिए गए फैसले के अनुसार दो महीने में यह राशि वापस करें. एकल पीठ ने यह आदेश अडानी पावर लिमिटेड की तरफ से दाखिल की गई याचिका पर दिए थे. सिंगल बेंच ने यह भी कहा था कि यदि राज्य सरकार यह रकम दो महीने के अंदर प्रार्थी कंपनी को वापिस करने में असफल रहती है तो उसे नौ प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित पैसा चुकाना होगा. एकल पीठ के उपरोक्त फैसले को सरकार ने अपील के माध्यम से खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी है. हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद राज्य सरकार के आवेदन को अपील के साथ लगाने के आदेश दिए थे.

कंपनी ने राज्य सरकार के विशेष सचिव (विद्युत) के 7 दिसंबर, 2017 को जारी पत्राचार को हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर कर चुनौती दी थी. वहीं, 7 दिसंबर 2017 के पत्राचार को रद्द करते हुए एकल पीठ ने कहा था कि जब कैबिनेट ने 4 सितंबर 2015 को प्रशासनिक विभाग की तरफ से तैयार किए गए विस्तृत कैबिनेट नोट पर ध्यान देने के बाद खुद ही यह राशि वापस करने का निर्णय लिया था, तो अपने ही फैसले की समीक्षा करना अदालत की समझ से बाहर है. राज्य सरकार का मानना है कि उसके पक्ष की विस्तार से सभी बिंदुओं पर सुनवाई होनी चाहिए.

अडानी समूह की अपफ्रंट मनी से जुड़े मामले की पृष्ठभूमि के अनुसार अक्टूबर 2005 में राज्य सरकार ने 980 मेगावाट की दो हाइड्रो-इलेक्ट्रिक परियोजनाओं जंगी-थोपन-पोवारी को लेकर टेंडर जारी किए थे. शुरुआत में हॉलैंड की कंपनी ब्रेकल कारपोरेशन को परियोजनाओं के लिए सबसे अधिक बोली लगाने वाला पाया गया. बोली के बाद ब्रेकल कंपनी ने अपफ्रंट प्रीमियम के तौर पर 280.06 करोड़ रुपये की रकम हिमाचल सरकार के पास जमा कर दी थी. हालांकि बाद में राज्य सरकार ने परियोजनाओं की फिर से बोली लगाने का फैसला किया.

इसके बाद विदेशी कंपनी ब्रेकल ने राज्य सरकार से पत्राचार के माध्यम से 24 अगस्त, 2013 अनुरोध किया था कि अडानी समूह के कंसोर्टियम पार्टनर होने के नाते 280.06 करोड़ रुपये के अग्रीम प्रीमियम को अप टू डेट ब्याज के साथ उसे वापस किया जाए. इस तरह ये मामला राज्य सरकार व अडानी समूह के बीच हो गया. वर्ष 2017 में तत्कालीन वीरभद्र सिंह सरकार के बाद जयराम ठाकुर के नेतृत्व में राज्य में भाजपा की सरकार सत्ता में आई. पूर्व सीएम जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली सरकार का कार्यकाल भी दिसंबर 2022 में पूरा हो गया और अब मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अगुवाई में कांग्रेस की सरकार सत्ता में है. यदि फैसला राज्य सरकार के खिलाफ आता है तो 280 करोड़ की रकम पर नौ फीसदी सालाना ब्याज चुकाना सरकार के लिए भारी होगा.

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