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बेटे से गुजारा भत्ता दिलाने का आग्रह लेकर हाई कोर्ट पहुंची मां, अदालत ने कहा- माता-पिता को गुजारा भत्ता देना नैतिक ही नहीं, कानूनी जिम्मेदारी भी - Himachal Pradesh

Himachal High Court: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में एक मां बेटे से गुजारा भत्ता दिलाने के लिए याचिका लेकर पहुंची. हिमाचल हाई कोर्ट ने मामले में बेटे को मां को हर महीने 7 तारीख से पहले गुजारा भत्ता देने के आदेश जारी किए हैं. हाई कोर्ट ने मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि माता-पिता को हर महीने गुजारा भत्ता देना नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी है.

Himachal High Court
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 7, 2023, 6:33 AM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने एक बेहद महत्वपूर्ण व्यवस्था दी है. अदालत ने कहा है कि माता-पिता को गुजारा भत्ता देना न केवल नैतिक बल्कि कानूनी रूप से भी आवश्यक जिम्मेदारी है. हिमाचल हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर ने इस संदर्भ में आए एक मामले में ये कानूनी स्थिति स्पष्ट की है.

'7 तारीख से पहले दिया जाए गुजारा भत्ता': दरअसल, एक मां ने अपने बेटे से गुजारा भत्ता दिलाने का आग्रह किया था. अदालत के समक्ष आए मामले का निपटारा करते हुए न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर ने बेटे को मातृ ऋण चुकाने का अवसर देते हुए कहा कि वो मां को 2 हजार रुपए प्रतिमाह गुजारा भत्ता दे. अदालत ने बेटे को आदेश जारी किया है कि मां और बेटे के रिश्ते और कानूनी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए अभी से हर महीने की 7 तारीख से पहले दो हजार रुपए गुजारा भत्ता दिया जाना सुनिश्चित करे.

क्या है पूरा मामला:अदालत के समक्ष आए इस मामले के अनुसार प्रार्थी महिला ने बताया कि वह जिला सिरमौर के पांवटा साहिब इलाके की रहने वाली है. महिला ने बताया कि उसके 4 बेटे और 4 बेटियां हैं. पति के साथ सहयोग और कंधे से कंधा मिलाकर उसने अपनी हैसियत के हिसाब से बच्चों को पढ़ाया लिखाया और कमाने लायक बनाया. पति के देहावसान के बाद सभी बेटों ने कृषि भूमि को बराबर बांट लिया. महिला ने बताया कि उसने अपने पास कोई भूमि नहीं रखी. बंटवारे के बाद उसे चारों बेटों ने तंग करना शुरू कर दिया.

2013 में जबरदस्ती घर से निकाला: प्रार्थी के अनुसार उसे दस साल पहले यानी साल 2013 में जबरन घर से निकल दिया गया. इसके बाद वह एक बेटे की दया पर दूसरे गांव में रहने लगी. प्रार्थी के अनुसार उसके पास ठहरने का पर्याप्त स्थान न होने के कारण उसकी बेटियां भी उससे मिलने नहीं आ पाती. गुजारा भत्ते के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के बाद 2 बेटे ₹5 हजार और एक बेटा ₹3 हजार हर महीने देने को राजी हो गए.

हिमाचल हाई कोर्ट के आदेश: एक बेटे को न्यायिक दंडाधिकारी ने आदेश पारित कर 3 हजार रुपए प्रतिमाह अपनी मां को गुजारा भत्ता देने के आदेश दिए. जिसके बाद इस आदेश को उस बेटे ने सत्र न्यायाधीश के सामने चुनौती दी थी. जिस पर सत्र न्यायाधीश ने भी बेटे की अपील को स्वीकार करते हुए न्यायिक दंडाधिकारी के आदेश को खारिज कर दिया था. इस आदेश को मां ने हिमाचल हाई कोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी. हाई कोर्ट ने अब बेटे को दो हजार रुपए प्रति माह गुजारा भत्ता देने के आदेश जारी किए हैं.

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