शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने एक बेहद महत्वपूर्ण व्यवस्था दी है. अदालत ने कहा है कि माता-पिता को गुजारा भत्ता देना न केवल नैतिक बल्कि कानूनी रूप से भी आवश्यक जिम्मेदारी है. हिमाचल हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर ने इस संदर्भ में आए एक मामले में ये कानूनी स्थिति स्पष्ट की है.
'7 तारीख से पहले दिया जाए गुजारा भत्ता': दरअसल, एक मां ने अपने बेटे से गुजारा भत्ता दिलाने का आग्रह किया था. अदालत के समक्ष आए मामले का निपटारा करते हुए न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर ने बेटे को मातृ ऋण चुकाने का अवसर देते हुए कहा कि वो मां को 2 हजार रुपए प्रतिमाह गुजारा भत्ता दे. अदालत ने बेटे को आदेश जारी किया है कि मां और बेटे के रिश्ते और कानूनी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए अभी से हर महीने की 7 तारीख से पहले दो हजार रुपए गुजारा भत्ता दिया जाना सुनिश्चित करे.
क्या है पूरा मामला:अदालत के समक्ष आए इस मामले के अनुसार प्रार्थी महिला ने बताया कि वह जिला सिरमौर के पांवटा साहिब इलाके की रहने वाली है. महिला ने बताया कि उसके 4 बेटे और 4 बेटियां हैं. पति के साथ सहयोग और कंधे से कंधा मिलाकर उसने अपनी हैसियत के हिसाब से बच्चों को पढ़ाया लिखाया और कमाने लायक बनाया. पति के देहावसान के बाद सभी बेटों ने कृषि भूमि को बराबर बांट लिया. महिला ने बताया कि उसने अपने पास कोई भूमि नहीं रखी. बंटवारे के बाद उसे चारों बेटों ने तंग करना शुरू कर दिया.