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सहायक जिला न्यायवादियों के पदों को भरने और शारीरिक शिक्षकों को संशोधित वेतनमान देने की मांग पर हाईकोर्ट में सुनवाई - revised scales of pay to physical teachers

सहायक जिला न्यायवादियों के पदों को भरने के लिए पात्र वकीलों की अधिकतम आयु सीमा को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को रिकॉर्ड पेश करने के आदेश दिए हैं. वहीं, एक अन्य मामले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग के शारीरिक शिक्षकों को संशोधित वेतनमान देने के आदेश पारित किए हैं.

Himachal Pradesh High Court
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

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Published : May 5, 2023, 7:14 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सहायक जिला न्यायवादियों के पदों को भरने के लिए पात्र वकीलों की अधिकतम आयु सीमा 35 से 45 वर्ष करने की मांग को लेकर दायर याचिका में प्रदेश सरकार को रिकॉर्ड पेश करने के आदेश दिए हैं. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने 22 सितंबर 1983 में जारी दिशा निर्देशों, वर्ष 2003 और 2017 बनाये भर्ती एवं पदोन्नति नियमों सम्बंधित तमाम जानकारी मांगी है. मामले की सुनवाई 25 मई को होगी.

मामले के अनुसार लोक सेवा आयोग ने सहायक जिला न्यायवादियों के 25 पदों को भरने के लिए 24 नवम्बर 2021 को आवेदन आमंत्रित किए गए थे. आवेदन भरने के अंतिम तिथि 31 दिसंबर और छंटनी परीक्षा की तिथि 17 अप्रैल 2022 को निर्धारित की गई थी. इस परीक्षा के लिए पात्र अभ्यर्थियों की अधिकतम आयु 35 वर्ष रखी गई थी.

इस अधिकतम आयु सीमा को कुछ वकीलों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है. प्रार्थियों का कहना है कि एडीए के पद पहले क्लास थ्री हुआ करते थे. फिर इन पदों को 21 मई 2009 को जारी अधिसूचना के तहत क्लास वन गजेटेड बना दिया था. क्लास वन होने के बावजूद इन पदों के लिए अधिकतम आयु सीमा 35 वर्ष ही रखी गई जबकि अन्य क्लास वन पदों के लिए अधिकतम आयु सीमा 45 वर्ष है.

हाईकोर्ट का हिमाचल शिक्षा विभाग को निर्देश: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग के शारीरिक शिक्षकों को 1 अक्टूबर 2012 संशोधित वेतनमान देने के आदेश पारित कर दिए. न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ ने शिक्षा विभाग को 6 सप्ताह के भीतर शारीरिक शिक्षकों को संशोधित वेतनमान अदा करने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने विभाग को आदेश दिए कि इन शिक्षकों को दिए जाने वाला संशोधित वेतन पेंशन निर्धारण के लिए भी गिना जाए. याचिकाकर्ता नानक चंद और अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने यह निर्णय सुनाया.

याचिका में आरोप लगाया गया था कि शिक्षा विभाग ने सिर्फ शारीरिक शिक्षक डीपी की श्रेणी को छोड़कर बाकी 19 श्रेणियों को संशोधित वेतनमान का लाभ 1 अक्टूबर 2012 से दिया है. लेकिन, इन शिक्षकों को यह लाभ 1 नवंबर 2014 से दिया गया. याचिका में दलील दी गई है कि उनकी नियुक्ति शुरू में पीटी (फिजिकल टीचर) हुई थी और पदोन्नति के बाद उन्हें डीपी बनाया गया.

22 सितंबर 2012 को सरकार ने एक अधिसूचना जारी की जिसमें शिक्षा विभाग के 19 श्रेणियों के कर्मचारियों को संशोधित वेतनमान का लाभ दिया गया. लेकिन, शारीरिक शिक्षकों को इसमें नहीं जोड़ा गया. उसके बाद 1 नवंबर 2014 को राज्य सरकार ने एक नई अधिसूचना जारी की. जिसके तहत डीपी को संशोधित वेतनमान का लाभ दिया गया. याचिका में आरोप लगाया गया था कि शिक्षकों के साथ भेदभाव की नीति अपनाई गई है. कोर्ट ने मामले से जुड़े रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद पाया कि राज्य सरकार ने शिक्षा शिक्षा विभाग के शारीरिक शिक्षकों के संशोधित वेतन निर्धारण में भेदभाव किया है.

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