शिमला: जिला चंबा के मोटला गांव में सड़क निर्माण के दौरान ठेकेदार ने अवैध रूप से मलबे को डंप किया. इस कारण मोटला गांव पर खतरे के बादल मंडरा गए. मामला हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट पहुंचा और अदालत ने ठेकेदार के खिलाफ एक्शन के आदेश दिए. लोक निर्माण विभाग को मलबा हटाने का खर्च आंकने और ठेकेदार पर जुर्माना लगाने के लिए कहा गया था. विभाग ने मलबे को हटाने का खर्च 64 लाख रुपए आंका, लेकिन दोषी ठेकेदार पर महज 5.81 लाख रुपए जुर्माना ही लगाया. इस पर हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई और सरकार को नए सिरे से अनुपूरक शपथ पत्र दाखिल करने के आदेश दिए.
अदालत ने हैरानी जताते हुए कहा कि जब लोक निर्माण विभाग ने खुद मलबा हटाने का खर्च 64 लाख रुपए आंका है तो, ठेकेदार पर इतना कम जुर्माना क्यों लगाया है? हाईकोर्ट ने लोक निर्माण विभाग की इस कार्रवाई से नाराजगी जताई है. हाईकोर्ट ने कहा कि अदालत इससे असंतुष्ट है. यही नहीं, सरकार को इस मामले में अनुपूरक शपथ पत्र दाखिल करने को भी कहा है. मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ कर रही है. खंडपीठ ने पीडब्ल्यूडी के दोषी अफसरों के खिलाफ डिपार्टमेंटल एक्शन पर भी कोई जानकारी न देने को गंभीरता से लिया है.
अदालत ने सरकार को 6 नवंबर तक अनुपूरक शपथपत्र दाखिल करने के आदेश दिए हैं. हाईकोर्ट ने कहा कि जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण चंबा के सचिव की तरफ से 9 जून 2021 को सौंपी रिपोर्ट के मुताबिक मोटला गांव में सड़क निर्माण के दौरान ठेकेदारों ने बड़े पैमाने पर मलबे की अवैध डंपिंग की थी. विभाग ने कार्रवाई के नाम पर केवल सीमित तौर पर मलबे को हटाया था. वहीं, किसानों के खेतों से मलबा अभी तक नहीं हटाया गया है.