शिमला:अदालत के एक आदेश की गलत व्याख्या से जल शक्ति विभाग में ट्रांसफर से जुड़े मामले में असमंजस पैदा हो गया. हाई कोर्ट ने जो आदेश दिया था, जल शक्ति विभाग ने उसकी गलत व्याख्या कर दी. इस पर हाई कोर्ट ने गलत व्याख्या पर कड़ा संज्ञान लेते हुए सख्ती दिखाई है. अदालत ने जल शक्ति विभाग के सचिव को तलब किया है. हाई कोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सबीना व न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने जल शक्ति विभाग के सचिव को 12 अप्रैल को अदालत में तलब किया है. हाई कोर्ट ने जल शक्ति विभाग के सचिव से इस बारे में स्पष्टीकरण भी पेश करने को कहा है. मामले की सुनवाई अब 12 अप्रैल को तय की गई है.
हाई कोर्ट में जल शक्ति विभाग में कार्यरत एक इंजीनियर विनय कुमार ने याचिका दाखिल की. विनय कुमार की याचिका की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने पाया कि विभाग के सचिव ने उसके ट्रांसफर ऑर्डर में अदालत के ऐसे आदेशों का हवाला दिया, जो खंडपीठ ने दिए ही नहीं हैं. दरअसल, जल शक्ति विभाग के सचिव ने अदालत के आदेश का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता विनय कुमार का तबादला जनजातीय जिला किन्नौर के पूह में कर दिया. फिलहाल, अदालत ने याचिकाकर्ता के पूह तबादले के आदेश पर भी रोक लगा दी है.
विनय कुमार ने याचिका में आरोप लगाया कि जल शक्ति विभाग के सचिव ने जो आदेश पारित किए हैं, उसके अनुसार ऐसा कहा गया है कि हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता विनय कुमार व प्रतिवादी इंजीनियर अंजू देवी को ऐसी जगह ट्रांसफर करने के लिए कहा है, जहां पर उन्होंने अभी तक सेवाएं नहीं दी हैं. बड़ी बात ये है कि अदालत ने इस तरह का आदेश पारित नहीं किया था. इस मामले में अदालत को बताया गया कि इससे पहले विभाग ने महिला इंजीनियर अंजू देवी का तबादला मंडी जिला के बग्गी से सुंदरनगर किया था और बग्गी में कार्यरत विनय कुमार को समायोजित किया गया था.