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हिमाचल में बन रही दवाओं के सैंपल फेल होने पर हाई कोर्ट ने जताई चिंता, सरकार से तलब की रिपोर्ट

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने घटिया दवाइयों के उत्पादन पर कड़ा संज्ञान लिया है. हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि घटिया दवाइयों की रोकथाम के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं. पढ़ें पूरा मामला...

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हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट (फाइल फोटो).

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Published : May 19, 2023, 9:02 PM IST

शिमला: एशिया के फार्मा हब कहे जाने वाले हिमाचल प्रदेश में बन रही दवाओं के सैंपल फेल होने पर हाई कोर्ट ने चिंता जताई है. इस संदर्भ में हाई कोर्ट ने मीडिया में रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए सरकार से जवाब तलब किया है. हाई कोर्ट ने नकली दवाओं के निर्माण के मामले लगातार सामने आने को लेकर सरकार से पूछा है कि वो इसकी रोकथाम के लिए क्या कदम उठा रही है. अदालत ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव सहित अन्य संबंधित और जिम्मेदार अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इसके अलावा दवा नियंत्रक व अन्य को भी मामले में प्रतिवादी बनाया गया है. हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान की अगुवाई वाली खंडपीठ ने इस मामले में अगली सुनवाई 23 जून को तय की है.

खंडपीठ में एसीजे के साथ न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह सुनवाई कर रहे हैं. हाई कोर्ट ने इस केस में दवा निर्माण संघ यानी ड्रग मैन्युफेक्चरर्स एसोसिएशन को भी प्रतिवादी बनाया है. उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश में बनी 11 दवाओं के सैंपल फेल होने की खबर मीडिया में आई थी. हिमाचल प्रदेश की जिन 11 दवाओं के सैंपल फेल हुए, उनमें से चार दवाएं सिरमौर जिला में स्थित दवा कंपनियों व सात दवाएं सोलन जिला में मौजूद कंपनियों ने बनाई है. केंद्रीय औषधि नियंत्रण संगठन के अप्रैल के ड्रग अलर्ट में उक्त दवाएं मानकों पर खरा नहीं उतरी. प्रदेश में बनी जिन 11 दवाओं के सैंपल मानकों पर खरा नहीं उतरे हैं, उनमें बुखार, इन्फेक्शन, ब्रेस्ट कैंसर, गैस, हड्डियों की कमजोरी, अल्सर, बैक्टीरियल इन्फेक्शन, बाल झड़ने की दवा और एलर्जी की दवा शामिल हैं. इस साल अप्रैल में 895 दवाओं के सैंपल लिए गए थे. इनमें 859 दवाओं के सैंपल पास हुए और 35 के फेल हो गए. इनमें से 11 हिमाचल में निर्मित हैं.

सोलन जिले का बीबीएन एरिया फार्मा का सबसे बड़ा उत्पादक है. सोलन जिला के बद्दी के गुरुमाजरा में काम कर रही कंपनी सेलुस फार्मास्युटिकल्स द्वारा बनाई गई ब्रेस्ट कैंसर की दवाई टेबलेट लेट्रोजोल, बद्दी की प्रीत रेमेडिज कंपनी की इन्फेक्शन की दवा कैप्सूल एमोक्सीसिलिन, सोलन जिले के कौंडी स्थित मेडियोन बायोटेक कंपनी में हड्डियों की कमजोरी के लिए बनाया गया एल्ट्राजोन इंजेक्शन, सिरमौर के पांवटा साहिब की जी लेबोरेटरी की बच्चों की बुखार की दवा पैरासिटामोल.

सिरमौर के मोगीनंद स्थित अकुरा केयर कंपनी की बाल झडऩे की दवा टेबलेट फिनास्टराइड, सिरमौर के ही कालाअंब स्थित एक कंपनी द्वारा निर्मित पेट गैस की दवा पेंटा प्रोजोल, बद्दी के काठा स्थित एस्ट्रिका हेल्थकेयर कंपनी की गर्भपात के बाद होने वाली ब्लीडिंग को रोकने की दवाई मिसोप्रोस्टोल, नालागढ़ स्थित एल्विस हेल्थ केयर की अल्सर की दवा रेंटेडाइन, सिरमौर के कालाअंब स्थित पुष्कर फार्मा कंपनी की बैक्टीरियल इन्फेक्शन की दवा एनरोफ्लोक्सासिन, बद्दी के गुरुमाजरा स्थित एलवी लाइफ साइंस की एलर्जी की दवा लिवोसिट्राजीन और बद्दी के ही साइपर फार्मा कंपनी में बनी बुखार, सिर दर्द की दवा आईबूप्रोफेन के सैंपल फेल हुए हैं. हाई कोर्ट ने इसे गंभीर मामला बताया और कहा कि ये जनता की सेहत से जुड़ी बात है, इसे लेकर सभी को चिंता होनी चाहिए. सरकार को इस मामले में विस्तार से जवाब दाखिल करने के आदेश जारी किए गए हैं. मामले पर अगली सुनवाई 23 जून को निर्धारित की गई है.

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