शिमला: एशिया के फार्मा हब कहे जाने वाले हिमाचल प्रदेश में बन रही दवाओं के सैंपल फेल होने पर हाई कोर्ट ने चिंता जताई है. इस संदर्भ में हाई कोर्ट ने मीडिया में रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए सरकार से जवाब तलब किया है. हाई कोर्ट ने नकली दवाओं के निर्माण के मामले लगातार सामने आने को लेकर सरकार से पूछा है कि वो इसकी रोकथाम के लिए क्या कदम उठा रही है. अदालत ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव सहित अन्य संबंधित और जिम्मेदार अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इसके अलावा दवा नियंत्रक व अन्य को भी मामले में प्रतिवादी बनाया गया है. हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान की अगुवाई वाली खंडपीठ ने इस मामले में अगली सुनवाई 23 जून को तय की है.
खंडपीठ में एसीजे के साथ न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह सुनवाई कर रहे हैं. हाई कोर्ट ने इस केस में दवा निर्माण संघ यानी ड्रग मैन्युफेक्चरर्स एसोसिएशन को भी प्रतिवादी बनाया है. उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश में बनी 11 दवाओं के सैंपल फेल होने की खबर मीडिया में आई थी. हिमाचल प्रदेश की जिन 11 दवाओं के सैंपल फेल हुए, उनमें से चार दवाएं सिरमौर जिला में स्थित दवा कंपनियों व सात दवाएं सोलन जिला में मौजूद कंपनियों ने बनाई है. केंद्रीय औषधि नियंत्रण संगठन के अप्रैल के ड्रग अलर्ट में उक्त दवाएं मानकों पर खरा नहीं उतरी. प्रदेश में बनी जिन 11 दवाओं के सैंपल मानकों पर खरा नहीं उतरे हैं, उनमें बुखार, इन्फेक्शन, ब्रेस्ट कैंसर, गैस, हड्डियों की कमजोरी, अल्सर, बैक्टीरियल इन्फेक्शन, बाल झड़ने की दवा और एलर्जी की दवा शामिल हैं. इस साल अप्रैल में 895 दवाओं के सैंपल लिए गए थे. इनमें 859 दवाओं के सैंपल पास हुए और 35 के फेल हो गए. इनमें से 11 हिमाचल में निर्मित हैं.