शिमला: हिमाचल प्रदेश के शिमला जिला की 300 साल पुरानी देव परंपरा ब्रांशी से जुड़ा एक अनूठा मामला हाईकोर्ट पहुंचा था. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने इस मामले में मध्यस्थता का सुझाव दिया. हाईकोर्ट के आदेश से शुरू की गई मध्यस्थता की प्रक्रिया विफल हो गई है. अब मामले से जुड़े पक्षकारों ने मेरिट के आधार पर हाईकोर्ट से आग्रह किया है कि अदालत फिर से विवाद को निपटाने के लिए सुनवाई करे. ये मामला ऊपरी शिमला के आस्था के केंद्र देवता बनाड़ और देवता देशमौली जी से जुड़ा है.
इन दोनों देवताओं को ऊपरी शिमला के ही एक इलाके पुजारली में रोके जाने से जुड़े विवाद में हाईकोर्ट ने मध्यस्थता से मामला सुलझाने का विकल्प दिया था, लेकिन ये प्रक्रिया विफल हो गई है. हाईकोर्ट ने इसी साल 31 मार्च को आदेश दिए थे कि इस मामले को आपसी सहमति से मध्यस्थता के माध्यम से निपटाया जाए. इसके लिए हाईकोर्ट ने मध्यस्थ की नियुक्ति भी की थी.
इस मामले को आपसी सहमति से निपटाने की पहल करते हुए हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह ने ही मिडिएशन के लिए भेजा था. मिडिएशन वाली वार्ता असफल होने की बात हाईकोर्ट को बताते हुए पक्षकारों ने मेरिट के आधार पर मामले की सुनवाई का आग्रह किया है. इस पर हाईकोर्ट ने 8 अगस्त को सुनवाई तय की है.
गौरतलब है कि रोहडू के शराचली और जुब्बल तहसील के छह गांवों में देवताओं के आगमन पर रोक से जुड़ा मामला हाईकोर्ट पहुंचा था. तीन सदी से यहां ब्रांशी नामक परंपरा चली आ रही है. इस ब्रांशी परंपरा के खिलाफ देवता बनाड़ और देवता देशमौली जी को रोहडू के शराचली क्षेत्र के पुजारली गांव के मंदिर में ही रोके जाने के मामले में हाईकोर्ट ने एसडीएम रोहडू व एडिशनल सेशन जज रोहड़ू के आदेशों पर रोक लगाने को कहा था.