शिमला: हिमाचल की राजधानी शिमला में सरकारी बंगले का मोह कोई अफसर छोड़ना नहीं चाहता है. एक आईएएस को सरकारी बंगला अलॉट हुआ, लेकिन पहले से उस बंगले में रह रहे आईएएस अफसर ने आवास छोड़ा ही नहीं. अब मामला हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट पहुंच गया है. दरअसल, उद्योग विभाग में विशेष सचिव और जनसंपर्क विभाग की निदेशक किरण भड़ाना को शिमला में सरकारी आवास के तौर पर एक बंगला अलॉट किया गया था. उस बंगले में पहले आईएएस मनमोहन शर्मा रह रहे थे.
शिमला में मननोहन शर्मा के पास शहरी विकास विभाग के निदेशक का पदभार था. फिर मनमोहन शर्मा का तबादला डीसी सोलन के तौर पर हो गया था. डीसी सोलन के पद पर तबादला होने के बाद भी मनमोहन शर्मा ने शिमला का सरकारी आवास नहीं छोड़ा. उधर, राज्य सरकार के एस्टेट डिपार्टमेंट ने वह बंगला किरण भड़ाना को अलॉट कर दिया. किरण भड़ाना ने पहले मुख्य सचिव से आग्रह किया कि उन्हें बंगला दिलाया जाए, लेकिन कुछ परिणाम नहीं निकला. अब किरण भड़ाना ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर बंगला उन्हें दिलवाने का आग्रह किया है.
उद्योग विभाग की विशेष सचिव किरण भड़ाना ने याचिका में आरोप लगाया है कि आईएएस मनमोहन शर्मा का ट्रांसफर 8 अप्रैल को बतौर डीसी सोलन हुआ था. मनमोहन शर्मा को 8 जून को उन्हें शिमला स्थित सरकारी बंगला को खाली करने का नोटिस जारी किया गया था. बाद में एस्टेट डिपार्टमेंट ने पहली जुलाई तो मनमोहन शर्मा वाला बंगला याचिकाकर्ता किरण को आवंटित किया. याचिकाकर्ता का आरोप है कि उन्हें बंगला नहीं मिल पा रहा है, क्योंकि उसे प्रतिवादी ने खाली ही नहीं किया है.
याचिकाकर्ता का कहना है कि उन्होंने मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना से भी बंगला खाली करवाने में हस्तक्षेप का आग्रह किया है. याचिकाकर्ता ने संबंधित मंडल आयुक्त को कई बार प्रतिवेदन दिए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. प्रार्थी ने कोर्ट से संपदा निदेशक (डायरेक्टर एस्टेट) को जरूरी निर्देश देकर, उन्हें उक्त सरकारी आवास दिलवाने के लिए आदेश जारी करने की गुहार लगाई है. यही नहीं, प्रार्थी किरण ने डीसी सोलन मनमोहन शर्मा के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग भी की है.
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