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एंबुलेंस रोड बनाने के लिए PWD से पत्राचार करे उत्तर रेलवे, हाईकोर्ट ने सरकार को भी जरूरी कदम उठाने का दिया आदेश

शिमला के टुटू वार्ड में एंबुलेंस रोड सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं को लेकर दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने एंबुलेंस रोड बनाने के लिए लोक निर्माण विभाग से उत्तर रेलवे को पत्राचार करने को कहा है. साथ ही सरकार को भी मामले में जरूरी कदम उठाने के आदेश दिए हैं.

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Published : Jun 15, 2023, 10:36 AM IST

शिमला: राजधानी शिमला के उपनगर टुटू के एक वार्ड में एंबुलेंस रोड सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं के मामले में हाईकोर्ट ने विभिन्न आदेश पारित किए हैं. नगर निगम शिमला के तहत आने वाले टुटू के वार्ड नंबर सात मज्याठ में एंबुलेंस रोड नहीं है. इस कारण स्थानीय निवासियों को बीमारी की हालत में दिक्कत का सामना करना पड़ता है. इस संदर्भ में स्थानीय निवासियों ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के नाम पत्र लिखकर अपनी व्यथा बताई. हाईकोर्ट ने इस पर संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को दो हफ्ते में एंबुलेंस रोड बनाने के लिए जरूरी कदम उठाने को कहा है.

दरअसल, मज्याठ वार्ड में एंबुलेंस रोड तैयार करने के लिए जो जमीन चाहिए, वो उत्तर रेलवे की है. इस पर हाईकोर्ट ने उत्तर रेलवे प्रबंधन को भी लोक निर्माण विभाग के साथ पत्राचार के लिए आदेश जारी किए हैं. साथ ही अदालत ने लोक निर्माण विभाग व राज्य सरकार को दो सप्ताह में एंबुलेंस रोड बनाने से संबंधित सभी जरूरी कदम उठाने को कहा. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने अब इस मामले की सुनवाई 16 अगस्त को निर्धारित की है.

मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की खंडपीठ को बताया गया कि नगर निगम शिमला के वार्ड मज्याठ में एंबुलेंस रोड निकालने में बीच में उत्तर रेलवे की जमीन लग रही है. इसके लिए रेलवे से जमीन लीज पर लिए जाने की आवश्यकता है. इस पर हाईकोर्ट ने उपरोक्त आदेश पारित किए. मुख्य न्यायाधीश के नाम लिखे पत्र पर संज्ञान लेते हुए अदालत ने कहा कि मूलभूत सुविधाएं सभी का हक है.

स्थानीय नागरिकों ने पत्र में आरोप लगाया है कि मज्याठ के लिए कोई एंबुलेंस रोड नहीं है. इसके अलावा यहां का इलाका नगर निगम में तो शामिल कर लिया गया, लेकिन यहां मूलभूत सुविधाएं अब तक नहीं मिल पाई हैं. वार्ड में कोई कम्यूनिटी हॉल भी नहीं है. स्थानीय नागरिक टैक्स दे रहे हैं, लेकिन सुविधाएं नहीं हैं. सैंकड़ों लोग महंगी व्यावसायिक दरों पर पानी पीने को मजबूर हो रहे हैं. सीवरेज लाइन न होने से मकानों की गंदगी नालों में बहती है. इस कारण नालों से सटे घरों के लोग भी परेशान हैं. अदालत से गुहार लगाई गई है कि वो हस्तक्षेप कर राज्य सरकार और संबंधित एजेंसियों को उचित निर्देश जारी करे.
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