शिमला: हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) के अफसरों को बकाया राशि पर ब्याज का भुगतान न करना महंगा पड़ा है. हाईकोर्ट ने भुगतान न करने के जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ जांच के आदेश जारी किए हैं. साथ ही अदालत ने एचआरटीसी प्रबंधन को निर्देश दिए हैं कि वो प्रार्थी की बकाया राशि पर साढ़े सात फीसदी ब्याज भी अदा करे. हाईकोर्ट में दाखिल की गई याचिका में प्रार्थी ने तथ्य दर्ज किए थे कि 25 अगस्त 2006 से उसकी सेवाएं नियमित करने के बाद उसे एरियर का भुगतान नहीं किया गया.
प्रार्थी ने हाईकोर्ट में अनुपालना याचिका डाली थी. हाईकोर्ट ने अनुपालना याचिका की सुनवाई के दौरान 16 दिसंबर 2022 को यह आदेश पारित किए थे कि प्रार्थी की देय राशि का 6 माह के भीतर भुगतान कर दिया जाए. साथ ही अदालत ने कहा था कि अगर हिमाचल पथ परिवहन निगम 6 माह के भीतर इस राशि का भुगतान करने में विफल रहता है तो, उस स्थिति में प्रबंधन को देय राशि पर साढ़े सात फीसदी की दर से ब्याज का भी भुगतान करना होगा.
प्रार्थी की ओर से न्यायालय को यह बताया गया कि पथ परिवहन निगम ने 1 जुलाई 2023 को देय राशि का चेक तैयार किया, जबकि हाईकोर्ट के आदेशानुसार छह माह का समय 16 जून 2023 को ही पूरा हो गया था. हाईकोर्ट ने पाया कि चूंकि पथ परिवहन निगम प्रबंधन छह महीने के भीतर देय राशि का भुगतान करने में विफल रहा है तो ऐसी स्थिति में प्रार्थी उसे भुगतान की गई राशि पर 7:30 फीसदी के हिसाब से ब्याज लेने का हक रखता है.
हाईकोर्ट ने इसे अधिकारियों की लापरवाही का मामला पाते हुए पथ परिवहन निगम को यह आदेश जारी किए कि वह 4 सप्ताह के भीतर ब्याज का भुगतान कर दे. इसके अलावा जो भी अधिकारी इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार हैं. उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई चलाई जाए. अदालत ने ये भी कहा कि कार्रवाई को 1 जनवरी 2024 तक अंतिम रूप दिया जाए. मामले पर आगामी सुनवाई अब अगले साल एक जनवरी यानी जनवरी 2024 को तय की गई है. यही नहीं, हाईकोर्ट ने ब्याज की राशि जिम्मेदार अधिकारियों से वसूलने के आदेश भी दिए हैं.
ये भी पढ़ें:28 साल पहले जमीन अधिग्रहण का मुआवजा देने से मुकरी सरकार, हाईकोर्ट ने कहा- इस रवैये ने झकझोर दी अदालत की अंतरात्मा