हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / state

मां बनने का अधिकार सबसे अहम मानवाधिकार, टीचर को देने होंगे मैटरनिटी लीव के लाभ, तारा हॉल स्कूल की याचिका खारिज - HP maternity leave case

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने तारा हॉल स्कूल की याचिका खारिज करते हुए एक अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा मां बनने का अधिकार भी सबसे महत्वपूर्ण मानवाधिकारों में से एक है. ऐसे में किसी भी कीमत पर इस अधिकार की रक्षा की जानी चाहिए. कोर्ट ने मैटरनिटी लीव के लाभ से जुड़े अधिनियम के प्रावधानों को सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए हैं. पढ़िए पूरी खबर...

himachal high court
मैटरनिटी लीव मामला

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 28, 2023, 9:42 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला दिया है. अदालत ने कहा कि मां बनने का अधिकार भी सबसे महत्वपूर्ण मानवाधिकारों में से एक है और इस अधिकार की रक्षा हर कीमत पर की जानी चाहिए. इसके अलावा हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि जहां भी लागू हो, मैटरनिटी लीव के लाभ से जुड़े अधिनियम के प्रावधानों को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए. एक मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर ने उपरोक्त निर्णय दिए.

मामला शिमला के एक निजी स्कूल लॉरेटो कान्वेंट स्कूल तारा हॉल (तारा हॉल स्कूल के नाम से चर्चित) की एक शिक्षिका की मैटरनिटी लीव से जुड़ा है. ताराहाल स्कूल प्रबंधन ने हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी, लेकिन अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि मां बनने का अधिकार सबसे महत्वपूर्ण मानवाधिकार है. इस टिप्पणी के साथ ही फैसले के रूप में हाईकोर्ट ने तारा हॉल स्कूल प्रबंधन की याचिका खारिज कर दी.

याचिका को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने ये स्पष्ट किया कि एक नियोक्ता और एक कर्मचारी के रिश्ते के लिए उनके बीच आपसी भरोसे की जरूरत होती है. खासकर एक शिक्षा संस्थान में, जहां शिक्षण गतिविधियों और सीखने के लिए अनुकूल माहौल की आवश्यकता होती है. इसलिए यदि लॉरेटो कॉन्वेंट स्कूल तारा हॉल प्रशासन मातृत्व लाभ अधिनियम 1961 के तहत तैनात श्रम अधिकारी के निर्देश के अनुसार सहायक अध्यापक की नियुक्ति स्वीकार करने का इरादा नहीं रखता है तो उन्हें सहायक अध्यापक को पहले से ही दिए गए मातृत्व लाभ के अलावा 15 लाख रुपये का मुआवजा देना होगा.

अदालत ने स्पष्ट किया कि उसकी बहाली के बदले में पंद्रह लाख रुपये अदा करे. अदालत का मानना था कि मैटरनिटी लीव अधिनियम के अक्षरश: अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए यदि नियोक्ता विफल रहता है तो उसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए. तारा हॉल स्कूल प्रशासन ने मातृत्व अवकाश अधिनियम 1961 के तहत तैनात श्रम आयुक्त-सह-मुख्य निरीक्षक (अपीलीय प्राधिकरण) द्वारा 14 सितंबर, 2020 को पारित आदेश को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दाखिल की थी.

श्रम अधिकारियों ने स्कूल प्रशासन को निर्देश दिया था कि वह शिकायतकर्ता महिला अध्यापक को सितंबर 2019 के महीने के लिए मातृत्व लाभ और वेतन के रूप में 2,45,592/- रुपये का भुगतान करे. साथ ही शिकायतकर्ता अध्यापक शारू गुप्ता को सहायक अध्यापक से उसी पद पर ज्वाइनिंग दे, जिस पर वह मैटरनिटी लीव पर जाने से पहले सेवारत थी.

ये भी पढ़े:पंचायत प्रतिनिधियों को हटाने वाली याचिका खारिज, हाईकोर्ट ने लगाई दस हजार की कॉस्ट, पैसे आपदा राहत कोष में जमा करने के आदेश

ABOUT THE AUTHOR

...view details