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हाईकोर्ट ने चक्का जाम को लेकर FIR रद्द की, पुलिस साक्ष्य जुटाने में असफल रही - हिमाचल हाईकोर्ट की ताजा खबरें

हाईकोर्ट ने संजौली में करीब चार साल पहले नगर निगम शिमला की कार्यप्रणाली के विरोध में चक्का जाम कर उच्च मार्ग पर लोगों की आवाजाही रोकने के मामले में दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया है. (Himachal High Court cancels fIR regarding Chakkajam)

हाईकोर्ट ने चक्का जाम को लेकर FIR रद्द की
हाईकोर्ट ने चक्का जाम को लेकर FIR रद्द की

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Published : Dec 21, 2022, 8:22 AM IST

शिमला:प्रदेश हाईकोर्ट ने राजधानी शिमला के उपनगर संजौली में करीब चार साल पहले नगर निगम शिमला की कार्यप्रणाली के विरोध में चक्का जाम कर उच्च मार्ग पर लोगों की आवाजाही रोकने के मामले में दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया. न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर ने प्रार्थी नरेश चौहान, अनिता ठाकुर, दिलशन, ममता ठाकुर, सोनिया चौहान और विनोद ठाकुर के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करते हुए कहा कि प्रार्थियों के खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं बनता.

पुलिस साक्ष्य जुटाने में असफल रही:पुलिस ऐसे साक्ष्य जुटाने में असफल रही जिससे यह साबित हो सके कि प्रार्थियों ने किसी व्यक्ति विशेष की आवाजाही में कोई बाधा उत्पन्न की. मामले के अनुसार 4 जनवरी 2019 को संजौली में हाटेश्वरी ज्वेलर्स के सामने नगर निगम के मुख्य भंडारण टैंक से रात को पानी ओवर फ्लो हो गया था. यह पानी नीचे सड़क के साथ दुकानों व घरों में घुस गया था. रात के समय हुई इस घटना से लोगों द्वारा निगम पर लाखों रुपए के नुकसान के आरोप लगाए थे. (Himachal High Court cancels fIR regarding Chakkajam)

संजौली में किया था धरना प्रदर्शन: इसके पश्चात प्रभावित लोगों ने नगर निगम के खिलाफ उच्च मार्ग संजौली पर धरना प्रदर्शन भी किया. आरोप था कि चक्का जाम होने की वजह से संजौली में वाहनों का लंबा जाम लगा. निगम पर आरोप लगाए गए कि पानी से दुकानों में रखा सामान खराब हो गया. नाराज दुकानदारों व स्थानीय लोगों ने संजौली में करीब एक घंटे के लिए चक्का जाम भी किया. पुलिस द्वारा बड़ी मशक्कत के बाद जाम खुलवाया गया. (Chakkajam against corporation Shimla)

एफआईआर रद्द करने की गुहार लगाई:पुलिस को बताया गया था कि करीब 8 दुकानदारों को पानी से नुकसान हुआ. मामला इतना बिगड़ गया था कि एसडीएम को मौके पर पहुंचना पड़ा और उन्होंने व्यापारियों को शांत किया. इसके पश्चात पुलिस को मिली शिकायत के आधार पर उपरोक्त प्रार्थियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया था. इन प्रार्थियों ने हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दायर कर एफआईआर को रद्द करने की गुहार लगाई थी.

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