शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य में नदियों, नालों और झरनों में कूड़े-कचरे की डंपिंग पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है. अदालत ने प्रदेश के सभी पांच नगर निगमों, नगर परिषदों व अन्य निकायों के साथ-साथ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को आदेश की अनुपालना की जिम्मेदारी दी है. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति रंजन शर्मा की खंडपीठ ने ये आदेश जारी किए हैं. खंडपीठ ने इस संदर्भ में विभिन्न याचिकाओं की सुनवाई के दौरान ये आदेश दिए.
मामले की सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि सोलन जिला के बद्दी इंडस्ट्रियल एरिया के केंदड़ूवाल ठोस कचरा निष्पादन संयंत्र की स्थापना को लेकर पूर्व निर्धारित 36 शर्तों की अनुपालना जरूरी है, लेकिन अभी तक इनमें से एक भी शर्त की अनुपालना नहीं की गई है. इस पर खंडपीठ ने हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एनवायरनमेंट इंजीनियर को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की प्रतिनिधि वैज्ञानिक विशेषकर डॉक्टर भावना सिंह के साथ मिलकर उक्त संयंत्र के निरीक्षण का आदेश दिया. ये निरीक्षण 19 अक्टूबर को किया जाएगा. साथ ही अदालत ने ये आदेश भी दिए कि जरूरत पड़ने पर फिर निरीक्षण किया जाए और इसकी स्टेट्स रिपोर्ट सौंपी जाए.
गीले व सूखे कचरे को अलग किया जाए:उल्लेखनीय है कि हिमाचल में पर्यावरण संरक्षण के लिए हाईकोर्ट के समक्ष विभिन्न याचिकाएं दाखिल की गई हैं. इन याचिकाओं की सुनवाई में अदालत ने पूर्व में दिए गए आदेशों की अक्षरश: अनुपालना के लिए कहा है. पूर्व में जारी आदेश में कस्बों में गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग करने के लिए कहा गया है. अदालत ने हफ्ते में कम से कम तीन बार कचरा इकट्ठा करने के लिए निकायों को आदेश दिए हैं. अदालत ने सभी संबंधित अफसरों व कर्मियों को आदेश दिए हैं कि वे ठोस और गीले कचरे को अलग-अलग एकत्र करें. इसके बाद कचरे ढोने वाले वाहनों से कूड़े को अलग-अलग ठिकानों पर पहुंचाया जाए.