शिमला: हिमाचल प्रदेश में आपदा के दौरान अनियोजित तरीके से हुए निर्माण के कारण भारी नुकसान हुआ. जिस पर अब हिमाचल सरकार प्रदेश के शहरी क्षेत्रों और प्लानिंग एरिया में भवनों के निर्माण से पहले इसकी नींव के स्तर की जांच जरूरी करने पर विचार कर रही है. हाल ही में आई आपदा के दौरान मकानों को हुई क्षति को देखते हुए सरकार यह कदम उठाने जा रही है.
भवन निर्माण के लिए प्रावधान: हिमाचल सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि सरकार शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ विशेष क्षेत्रों में सभी भवनों के लिए नींव स्तर पर निरीक्षण का प्रावधान अनिवार्य करने पर विचार कर रही है. इसके अलावा हाई रिस्क बिल्डिंग खास कर रेजिडेंशियल, कमर्शियल, इंडस्ट्रियल, रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स और इंस्टीट्यूशनल प्रोजेक्ट्स के लिए अप्रूवल के समय जियोलॉजिकल इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट के साथ-साथ बीआईएस कोड के अनुसार डीटेल्ड स्ट्रक्चर डिजाइन रिपोर्ट को जरूरी बनाया जा रहा है. ये प्रावधान सभी शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों को आपदा से बचाव में मददगार होंगे.
शिमला डेवलपमेंट प्लान: प्रवक्ता ने कहा कि लगभग चार दशकों बाद नगर एवं ग्राम योजना विभाग ने शिमला के लिए एक विकास योजना तैयार की है, ताकि शिमला और इसके आसपास के उप नगरीय क्षेत्रों का रेगुलेटेड एंड प्लांड डेवलपमेंट किया जा सके. यह डेवलप प्लान शिमला की आइडियल टूरिज्म डेस्टिनेशन क्षमता, जीवंत वातावरण, प्राकृतिक पारिस्थितिकी और साल 2041 तक भविष्य की जनसंख्या के साथ-साथ अस्थायी आबादी क करने की क्षमता को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार की उप-योजना अमृत के तहत तैयार की गई है.