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Published : Mar 14, 2023, 8:23 PM IST

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देवभूमि को नहीं बनने देंगे नशे की भूमि, नशामुक्ति को लेकर राज्यपाल ने की बैठक, पुलिस अधिकारियों को दिए ये निर्देश

हिमाचल के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि प्रदेश को किसी भी सूरत में ‘नशे की भूमि’ नहीं बनने देंगे. राज्यपाल ने अपनी प्राथमिकता में शुमार करते हुए प्रदेश को नशामुक्ति के लिए तैयार करने को कहा है. हर स्तर पर सबके सहयोग से इस अभियान को सफल बनाया जाएगा. उन्होंने यह बात आज शिमला में पुलिस अधिकारियों के साथ हुई बैठक के दौरान कही.

देवभूमि को नहीं बनने देंगे नशे की भूमि
देवभूमि को नहीं बनने देंगे नशे की भूमि

शिमला:हिमाचल के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल नेआज नशामुक्ति को लेकर पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की. इस मौके पर राज्यपाल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश को किसी भी सूरत में ‘नशे की भूमि’ नहीं बनने दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि यह मेरी प्राथमिकता रहेगी कि प्रदेश को नशामुक्ति के लिए तैयार किया जाए और इसके लिए हर स्तर पर सबके सहयोग से इस अभियान को सफल बनाया जाएगा. शिव प्रताप शुक्ला ने कहा कि राज्यपाल बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जब उनकी भेंट हुई, तो उन्होंने भी नशे के खिलाफ कार्य करने की उनसे बात कही. उन्होंने देवभूमि से नशामुक्ति की अपेक्षा की है, जिसके लिए हम सबको ईमानदारी से प्रयास करने की आवश्यकता है.

उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि राज्य पुलिस विभाग द्वारा मादक पदार्थों के सेवन, उसके खतरनाक परिणामों और उनकी अवैध तस्करी के बारे में समाज में जागरूकता फैलाने के लिए व्यापक तौर पर कार्य किया जा रहा है. लेकिन, समाज को नशामुक्त बनाने के लिए पंचायती राज संस्थाओं, शिक्षण संस्थानों, गैर सरकारी संस्थाओं, कम्यूनिटी बेस्ड आर्गेनाइजेशन, शोध संस्थानों, जागरूकता बढ़ाने में तत्पर संस्थाओं और व्यक्तिगत स्तर पर योगदान देने वाले विशेषज्ञों और सामान्य नागरिकों की अहम् भूमिका रहती है. उन्होंने कहा कि पुलिस बल उनकी और भागीदारी सुनिश्चित बनाने के लिए उन्हें प्रेरित करने का कार्य कर सकता है.

पर्यटन की आड़ में हिमाचल को नशे की भूमि नहीं बनने दिया जा सकता:राज्यपाल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश पर्यटन के लिए भी जाना जाता है. पर्यटन से अर्थ-व्यवस्था सुदृढ़ बनती है. लेकिन, पर्यटन की आड़ में प्रदेश को नशे की भूमि नहीं बनने दिया जा सकता. उन्होंने कहा कि सबके सहयोग से ही रास्ता निकल सकता है. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार नशाखोरी की प्रवृति और इससे उत्पन्न होने वाली सभी प्रकार की समस्याओं से निपटने के प्रति संवेदनशील एवं जागरूक है. सरकार नशे को जड़ से उखाड़ने के लिए प्रयासरत है. इस संबंध में पड़ोसी राज्यों की सरकारों के साथ संवाद स्थापित कर अच्छे नतीजे आ सकते हैं. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश जैसा शांति प्रिय राज्य देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है, लेकिन चिंता का विषय है कि यहां मादक पदार्थों का सेवन प्रमुख मुद्दा बन गया है. जबकि देवभूमि में नशे के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए.

बार्डर एरिया में पुलिस को सतर्कता बढ़ाने की जरूरत:राज्यपाल ने कहा कि नशे का अवैध धंधा अब एक संगठित अपराध की तरह फैल रहा है, जिसके लिए पुलिस को सीमावर्ती क्षेत्रों में अधिक सतर्कता और निरंतर प्रयास की आवश्यकता है. उन्होंने विशेष तौर पर सिंथैटिक ड्रग्स और चिट्टे इत्यादि से युवाओं को बचाने की अपील की. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में नशे के खात्मे के लिए राज्य सीआईडी का खास अभियान ‘प्रधाव’ भी आरंभ किया गया है, यह खुशी का विषय है. उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रयास नशामुक्त हिमाचल अभियान में कारगर सिद्ध हो सकते हैं.

इस अवसर पर उन्होंने पुलिस विभाग द्वारा आरंभ किए गए ‘प्रधाव’ अभियान के तहत सुझाए गए पांच समाधानों को भी जारी किया. डीजीपी संजय कुंडू व् इस बैठक के लिए राज्यपाल का आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि उनके मार्गदर्शन से पुलिस को भी नई ऊर्जा मिलेगी और इस गंभीर विषय के समाधान में नई दिशा मिलेगी. उन्होंने अलग से एंटी नारकोटिक थाने और दस्ते गठित करने का सुझाव दिया. उन्होंने नशीली दवाओं के सेवन और अवैध तस्करी के मामले में पुलिस बल द्वारा उठाए गए प्रभावी कदमों और कार्रवाई से राज्यपाल को अवगत करवाया. इस मौके पर एडीजीपी अभिषेक त्रिवेदी ने राज्य में नशीली दवाओं के सेवन और अवैध तस्करी के मामले को लेकर विस्तृत प्रेजेंटेशन दी.

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