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हिमाचल सरकार का हाईकोर्ट में शपथपत्र, प्रदेश में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं - हिमाचल में कोरोना

हिमाचल प्रदेश में कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए सरकार ने सभी व्यवस्थाएं की हैं. प्रदेश के स्वास्थ्य संस्थानों में ऑक्सीजन की कोई नहीं है. गुरुवार को राज्य सरकार ने शपथपत्र के माध्यम से अदालत को अवगत करवाया कि महामारी से प्रभावी तरीके से निपटने को लेकर जरूरी उपाय किए गए हैं.

Himachal Pradesh High court
Himachal Pradesh High court

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Published : Dec 10, 2020, 8:11 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए सरकार ने सभी व्यवस्थाएं की हैं. प्रदेश के स्वास्थ्य संस्थानों में ऑक्सीजन की कोई नहीं है. गुरुवार को राज्य सरकार ने शपथपत्र के माध्यम से अदालत को अवगत करवाया कि महामारी से प्रभावी तरीके से निपटने को लेकर जरूरी उपाय किए गए हैं.

हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई में 3 दिसंबर को राज्य सरकार को कई निर्देश जारी किए थे. उन्हीं निर्देशों की अनुपालना के तहत शपथपत्र दाखिल किया गया. राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया है कि प्रदेश में डेडिकेटिड कोविड अस्पतालों में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है.

शिमला व टांडा में मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में अतिरिक्त ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदे जा रहे हैं. नेरचौक, टांडा, शिमला, धर्मशाला, नाहन, हमीरपुर व चंबा इन सात प्रमुख अस्पतालों में ऑक्सीजन उत्पादन प्लांट स्थापित किए जा रहे हैं. इनका आधारभूत ढांचा जनवरी से तैयार करना शुरू होगा.

महामारी के दौरान सेवाएं देने वाले क्लास थ्री व क्लास फोर कर्मियों को प्रति शिफ्ट 200 रुपये इन्सेंटिव दिया जाएगा. सरकार ने घर-घर जाकर लोगों को इस महामारी के प्रति जागरूक करने का अभियान शुरू किया है. अन्य उपायों के तहत बसों में यात्रियों की संख्या को 50 फीसदी किया गया है.

फाइव-डे वीक और वर्क फ्रॉम होम की व्यवस्था लागू

इसके अलावा फाइव-डे वीक और शनिवार को वर्क फ्रॉम होम की व्यवस्था लागू की गई है. मास्क न पहनने पर 35 हजार चालान किए गए और डेढ़ करोड़ रुपये जुर्माना वसूला गया है. अस्पतालों में कोविड मरीजों से संपर्क के लिए इंटरकॉम सुविधाएं दी जा रही है. मरीजों को अपने परिजनों से बातचीत करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.

हाईकोर्ट ने पिछले आदेश में राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने को कहा था कि सभी सीनियर डॉक्टर कोविड-19 वार्ड का नियमित तौर पर दौरा करें. सरकार को तरल (लिक्विड) ऑक्सीजन टैंकर की उपलब्धता सुनिश्चित करने को कहा गया था. अदालत ने आउटसोर्स आधार पर तैनात किए जाने वाले कर्मियों को 5 दिसंबर तक नियुक्ति प्रदान करने के आदेश जारी किए थे.

साथ ही निजी व सरकारी प्रयोगशालाओं से कोविड टेस्ट करवाने को भी कहा था. सैंपल एकत्रित करने वाली एजेंसी को यह आदेश जारी किए थे कि वह टेस्ट करने के दौरान संबंधित व्यक्ति का संपर्क नंबर, ईमेल आईडी व अन्य जरूरी जानकारी ले, ताकि टेस्ट के परिणाम के बारे में उन्हें बताया जा सके.

न्यायालय ने शिमला, मंडी, धर्मशाला, कुल्लू, सोलन, ऊना, हमीरपुर व बिलासपुर जिलों में टेस्टिंग की जानकारी समाचार पत्रों व सोशल मीडिया के माध्यम से दिए जाने के आदेश जारी किए थे. कोविड-19 अस्पतालों में हेल्पलाइन सुविधा भी सुनिश्चित करने के निर्देश थे.

अपने खर्चे पर स्टाफ नर्स रखने की अनुमति दी जाए

न्यायालय ने कहा था कि जो मरीज अपने खर्चे पर नर्स रखना चाहे, उन्हें इसकी अनुमति दी जाए ताकि हॉस्पिटल स्टाफ का भार कम हो सके. साथ ही अन्य महत्वपूर्ण आदेश के तहत कोविड मरीज के शव को किसी भी स्थिति में वार्ड में न लपेटने को कहा था.

अदालत ने गरम पानी व स्ट्रीमर की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के भी आदेश जारी किए थे. कहा था कि किसी भी परिवार के कोविड-19 से ग्रसित होने के कारण समाज से बाहर नहीं किया जाएगा. कार्यकारी मैजिस्ट्रेट की इजाजत के बिना जनसभा आयोजित नहीं की जा सकेगी.

इस तरह की इजाजत के बाद स्थानीय पुलिस थाना को यह सुनिश्चित करना होगा कि जनसभा में निर्धारित लोगों से अधिक संख्या न हो. ऐसे सभी आदेशों की अनुपालना की स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था. इसी आदेश पर राज्य सरकार ने स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल कर प्रदेश में कोविड की रोकथाम को लेकर उठाए गए कदमों की जानकारी दी.

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