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इस साल 4500 हेक्टेयर क्षेत्र में पोषक अनाज उत्पादन का टारगेट, बीज पर 80 फीसदी सब्सिडी देगी सरकार - बीज पर 80 फीसदी सब्सिडी देगी हिमाचल सरकार

इस साल हिमाचल सरकार ने 4500 हेक्टेयर क्षेत्र में पोषक अनाज के उत्पादन का लक्ष्य रखा है. मुख्यमंत्री सुखविंद सिंह सुक्खू ने कहा राज्य सरकार का लक्ष्य है कि पोषक अनाजों के उत्पादन की क्षेत्र में वृद्धि कर किसानों को इनके बेहतर दाम दिलाए जाएं. इसके लिए प्रदेश की जलवायु के अनुकूल पोषक अनाजों की जिलावार पहचान, इनके स्थानीय व वैज्ञानिक नामों का डेटाबेस तैयार किया जाएगा.

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पोषक अनाज उत्पादन का टारगेट

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Published : Jun 4, 2023, 8:25 PM IST

शिमला: पौष्टिक अनाज के महत्व को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष घोषित किया है. इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को आहार में पौष्टिक अनाज की उपयोगिता और किसानों को मोटे अनाज के उत्पादन के लिए प्रेरित करना है. हिमाचल सरकार इनके उत्पादन के बढ़ने के साथ स्कूली विद्यार्थियों को इनसे बने व्यंजनों को मिड-डे मील में शामिल करने पर विचार कर रही है.

हिमाचल प्रदेश के लगभग सभी जिलों में पोषणयुक्त मोटे अनाज की खेती की जाती है. कोदा, चोलाई, सांवा और कांगणी प्रदेश में पाए जाने वाले मुख्य पोषक अनाज हैं. इसके अलावा कूट्टू, कुटकी, चीणा, बाजरा और कोदो प्रदेश के अन्य पोषक अनाज हैं. प्रदेश सरकार पोषक अनाजों की खेती बढ़ाने के लिए कई स्तर पर प्रयास कर रही है. कृषि विभाग मोटे अनाजों को बढ़ावा देने की दिशा में विभिन्न घटकों को शामिल कर एक कार्य योजना बनाकर कार्य कर रहा है.

इसके तहत तकनीकी अधिकारियों के साथ किसानों के एक राज्य स्तरीय कार्य दल का गठन किया गया है. यह कार्य दल किसानों को मोटे अनाजों के बारे में जागरूक कर इनकी पैदावार के लिए प्रेरित कर रहा है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा प्रदेश में इस वर्ष लगभग 4500 हेक्टेयर क्षेत्र में पोषक अनाजों के उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इसके तहत किसानों को निःशुल्क 35000 मिनी किट उपलब्ध करवाए जाएंगे.

प्रदेश में परंपरागत कृषि विकास योजना, आत्मा, भारतीय प्राकृतिक किसान पद्धति और राष्ट्रीय सतत् खेती मिशन के तहत संगठित किसान समूहों को इस कार्यक्रम के तहत कवर किया जाएगा. प्रदेश में इन फसलों को बढ़ावा देने के लिए किसानों को तकनीक के माध्यम से जागरूक करने के साथ इन्हें उपयुक्त बाजार भी उपलब्ध करवाया जाएगा. मोटे अनाज का उत्पादन करने के लिए किसानों को 80 प्रतिशत सब्सिडी पर बीज उपलब्ध करवाए जाएंगे.

पोषक अनाजों की खासियत:पोषक अनाजों में यह विशेषता है कि इन्हें कम उपजाऊ भूमि के ढलानदार खेतों में बिना किसी खाद या उर्वरक के पैदा किया जा सकता है. यह अनाज इम्यूनिटी बूस्टर का काम करते हैं. इनमें कैल्शियम, आयरन, जिंक, फास्फोरस, मैग्नीशियम, पोटाशियम, फाइबर, विटामिन बी-6 प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होते हैं. मोटा अनाज मधुमेह रोग में फायदेमंद होता है. इसके अतिरिक्त यह अनाज ग्लूटिन मुक्त होते हैं, गेहूं से एलर्जी की समस्या में इसका उपयोग फायदेमंद होता है. लोगों को आहार में मोटे अनाज के महत्त्व से अवगत करवाने के लिए समय-समय पर फूड फेस्टिवल का भी आयोजन करवाया जा रहा है.

मुख्यमंत्री ने कहा प्रदेश सरकार का लक्ष्य है कि राज्य में पोषक अनाजों के उत्पादन क्षेत्र में वृद्धि कर किसानों को इनके बेहतर दाम उपलब्ध करवाए जाएं. राज्य सरकार द्वारा प्रदेश की जलवायु के अनुकूल पोषक अनाजों की जिलावार पहचान, इनके स्थानीय व वैज्ञानिक नामों का डेटाबेस तैयार किया जाएगा. इसके साथ विभिन्न पोषक अनाज पैदा करने वाले प्रमुख इलाकों और कलस्टर की पहचान की जाएगी.

मोटे अनाजों की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी, कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर तथा राष्ट्रीय पादप अनुवांशिक संसाधन ब्यूरो से तकनीकी सहयोग लिया जाएगा. पोषक अनाजों के बीजों को इकट्ठा कर इनका प्रमाणीकरण कर किसानों में वितरण को बढ़ाया जाएगा. प्रदेश सरकार किसान स्वयं सहायता समूहों, महिला मंडलों को जागरूक कर इनके उपयोग को बढ़ावा प्रदान करने की दिशा में कार्य कर रही है.

सरकार किसान और उपभोक्ताओं को एक कड़ी में जोड़ रही है ताकि पोषक अनाजों को बेचने के लिए एक बेहतर प्रणाली विकसित की जा सके. उल्लेखनीय है कि पारंपरिक मोटे अनाज की खेती कर मंडी जिला के जागरूक किसान नेकराम शर्मा ने देशभर में अलग पहचान बनाई है. पोषक अनाज के उत्पादन के प्रति उनकी लगन एवं मेहनत का परिणामस्वरूप उन्हें पदमश्री सम्मान से नवाज़ा गया है. वे अब तक लगभग 10 हजार लोगों को वे प्राकृतिक खेती से जोड़ चुके हैं.
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