शिमला:हिमाचल प्रदेशमें इस बार बिजली कंपनियों के डैमों से भारी मात्रा में पानी छोड़ा गया, जिससे इनके डाउन स्ट्रीम में भारी तबाही आई. डैम से बिना सूचना एकाएक इस तरह का पानी छोड़ने के मामले को राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया है और बिजली कंपनियों को नोटिस जारी किए है. कंपनियों से इसको लेकर जवाब मांगा गया है. सरकार ने अर्ली वार्निंग सिस्टम के बारे में भी कंपनियों से ब्यौरा मांगा है.
हिमाचल प्रदेश में मानसून सीजन के दौरान भारी बारिश से जान और माल का काफी नुकसान हुआ है. इस नुकसान को बढ़ाने में डैम से छोड़े गए पानी ने भी भूमिका निभाई है. प्रदेश में बीबीएमबी के पंडोह और पौंग डैम के पानी के कारण मानसून सीजन में भी काफी नुकसान हुआ है. इसी तरह लारजी, भाखड़ा, चमेरा, नाथपा, कोल डैम, पार्वती और बजोली डैम भी से भी डाउनस्ट्रीम में नुकसान किया है. कुल्लू जिला के मलाणा-2 में डैम में भी भारी मात्रा में पानी आया और इसके गेट अभी भी तक बंद हैं. मंडी जिला के पंडोह डैम ने इस बार भी हिमाचल को चिंता में ही डाल दिया था.
साल 2014 में पंडोह डैम से अचानक पानी छोड़ने से हैदराबाद के विज्ञान ज्योति इंजीनियरिंग कॉलेज के 24 छात्र बह गए थे. प्रदेश में बांधों से हुए नुकसान को प्रदेश सरकार ने गंभीरता से लिया है. मुख्यमंत्री ने इसको लेकर अधिकारियों को कदम उठाने के निर्देश दिए थे. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के निर्देश पर मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने इस मामले में संबंधित अधिकारियों के साथ कुछ दिन पहले बैठक की थी. इस बैठक में मुख्य सचिव ने बांध सुरक्षा अधिनियम-2021 (डीएसए) और केंद्रीय जल आयोग द्वारा वर्ष 2015 में जारी दिशा-निर्देशों की अनुपालना न करने पर बांध परियोजनाओं में विफलता के लिए डैम मैनेजमेंट की जिम्मेदारी भी तय करने के आदेश दिए गए थे.